कोलंबो/नई दिल्ली : आजादी के बाद सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत की ओर से हर प्रकार की मदद पहुंचाई जा रही है. पड़ोसी देश की ओर से आर्थिक मदद पहुंचाए जाने पर श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भारत की तारीफ की है. उन्होंने ट्विटर पर भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बातचीत की. इसके साथ ही, खबर यह भी है कि रूस की ओर से कच्चे तेल की आपूर्ति किए जाने के बाद उसकी एकमात्र रिफाइनरी दोबारा चालू हो गई है. इसके साथ ही, श्रीलंका के संविधान में संशोधन के लिए आगामी 3 जून को अहम बैठक बुलाई जाएगी.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को आर्थिक संकट की इस कठिन वक्त के दौरान द्वीपीय देश को भारत द्वारा दी जा रही मदद की सराहना की. इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि वह दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए उत्सुक हैं. विक्रमसिंघे ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने शुक्रवार को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बातचीत की. उन्होंने ट्वीट किया कि इस मुश्किल समय के दौरान भारत द्वारा दी गयी मदद के लिए मैंने अपने देश की ओर से उसकी सराहना की. मैं दोनों देशों के बीच के संबंधों के और प्रगाढ़ होने की उम्मीद करता हूं. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि वह श्रीलंका की मदद के लिए एक विदेशी सहायता समूह की स्थापना के संबंध में ‘क्वाड’ सदस्यों के प्रस्ताव पर भारत और जापान के सकारात्मक रूख के लिए आभारी हैं.
वहीं, खबर यह भी है कि रूस की ओर से कच्चे तेल की आपूर्ति के बाद श्रीलंका की एकमात्र तेल रिफाइनरी में शुक्रवार को परिचालन फिर से शुरू कर दिया गया है. इसके साथ ही रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति भी शुरू हो गई है. श्रीलंका ने इस रिफाइनरी में परिचालन को दो महीने से अधिक समय पहले बंद कर दिया गया था. बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजसेकरा ने एक ट्वीट में लिखा, ‘सपुगस्कन्द तेल रिफाइनरी 20 मार्च 2022 के बाद पहली बार अपना परिचालन फिर से शुरू करेगी, जिसमें कच्चे तेल कल से उतारा जाएगा.’ इसी के साथ यूक्रेन पर 24 फरवरी को आक्रमण के बाद रूस से कच्चे तेल को खरीदने वाला श्रीलंका नया एशियाई देश बन गया.
इसके साथ ही, श्रीलंका के राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ बैठक कर प्रमुख संवैधानिक संशोधनों के बारे में चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि राष्ट्रपति की व्यापक शक्तियों पर अंकुश लगाने के प्रावधान वाले संविधान के 21वें संशोधन को जल्द से जल्द पारित किया जाए. संविधान के 21वें संशोधन से प्रावधान 20ए के रद्द हो जाने की उम्मीद है, जिससे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को असीमित अधिकार मिल गए थे. पीएमओ की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि आम सहमति बनी कि संविधान के 21वें संशोधन को जल्द से जल्द पारित किया जाना चाहिए. विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि चूंकि तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) शुक्रवार की बैठक में शामिल नहीं हो सकी, इसलिए अगले शुक्रवार यानी तीन जून को टीएनए की उपस्थिति के साथ अंतिम बैठक होगी, ताकि मसौदे को अंतिम रूप दिया जा सके.
भाषा इनपुट