कोरोना पूरे विश्व में कहर बरपा रहा है, लेकिन इस आपदा ने हमारी धरती पर कुछ सकारात्मक प्रभाव भी डाले हैं. लॉकडाउन के चलते पहले हवा की गुणवत्ता में सुधार देखा गया और अब वैज्ञानिकों ने धरती की भूकंपीय स्पंदनों में गिरावट आने की पुष्टि की है.
वैज्ञानिकों द्वारा हाल में जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन लागू किया है. इस दौरान वाहनों की आवाजाही रोक दी गयी है. लोग सड़को पर कम नजर आ रहे हैं और औद्योगिक गतिविधियां भी रुकी हुई हैं.
इन परिवर्तनों के चलते पृथ्वी के अंदर होने वाले कंपन में कमी देखने को मिल रही है. रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने यह दावा भी किया है कि यह परिवर्तन भूकंप विज्ञानियों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है. लॉकडाउन के दौरान वे पृथ्वी के अंदर होने वाले शोर एवं उन आवाजों को आसानी से सुन सकते हैं और आम दिनों में बड़े वाहनों व मशीनों से पैदा होनेवाले कंपन के चलते उन्हें सुनायी नहीं देतीं.
बेल्जियम के रॉयल ऑब्जर्वेटरी, ब्रसेल्स के भूकंप विज्ञानी थॉमस लेकोक बताते हैं कि भारी वाहनों और मशीनों के चलने से जो कंपन पैदा होता है, उसके चलते कई बार भूकंप विज्ञानी धरती के अंदर होने वाले कंपन के संकेतों को पहचान नहीं पाते. इस वक्त हमें धरती की आवाजों को सुनने का अच्छा मौका मिला है. कुछ हद तक ऐसा मौका क्रिसमस के दौरान भी मिलता है, क्योंकि उस वक्त बड़ी संख्या में लोग छुट्टी पर होते हैं, जिसके चलते सड़कों पर ट्रैफिक कम हो जाता है.
इनकॉरपोरेटेड रिसर्च इंस्टीट्यूशंस ऑफ सिस्मोलॉजी के भूकंप विज्ञानी एंडी फ्रैसेटो बताते हैं कि इन दिनों अधिकतर भूकंप विज्ञानी चौबिसों घंटे काम कर रहे हैं, ताकि वे देश बंदी के दौरान मिले इस समय का लाभ उठाकर ज्वालामुखियों और भूकंपों की प्रकृति से जुड़ी ज्यादा-से-ज्यादा जानकारी इकट्ठा कर सकें.