मॉस्को : यूक्रेन पर पिछले आठ महीने से सैन्य कार्रवाई कर रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को कहा कि उनका देश अब कम कीमत पर तेल नहीं बेचेगा. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि रूस जर्मनी जाने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के एक लिंक के जरिए गैस की आपूर्ति फिर शुरू करने के लिए तैयार है.
इसके साथ ही, खबर यह भी है कि पोलैंड में कच्चे तेल की उस पाइपलाइन में रिसाव का पता चला है, जिसके जरिए रूस से कच्चा तेल जर्मनी भेजा जाता है. बुधवार को यह जानकारी दी पोलेंड के परिचालक पीईआरएन ने कहा कि उसे मंगलवार की शाम ड्रुजबा पाइपलाइन में रिसाव का पता चला. रिसाव स्थल पोलैंड के शहर प्लॉक से करीब 70 किलोमीटर दूर है. पीईआरएन ने बताया कि रिसाव के कारण का अभी पता नहीं चल सका है. इससे पहले, पिछले महीने भी यूरोप में गैस की दो पाइपलाइनों में रिसाव की घटनाएं हुई थीं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को इस बात का ऐलान किया है कि मॉस्को अब दुनिया के देशों को कम कीमत पर तेल की बिक्री नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा यह कदम जी-7 के द्वारा रूसी तेल की कीमत पर लगाए गए कैप लगाने का वादा किए जाने के बाद उठाया गया है. रूस के सरकारी मीडिया आरटी में रूसी ऊर्जा सप्ताह 2022 कार्यक्रम में संबोधित करते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, ‘मेरा यह कहना है कि रूस अपने हित के खिलाफ काम नहीं करेगा. हम तेल या गैस प्रदान करके अपनी आर्थिक स्थिति को कमजोर करने का काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हम कीमतों को कम करने का काम नहीं करेंगे. हम उनके आगे नहीं झुकेंगे. हम दूसरों द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं करेंगे, क्योंकि वे हमारे नुकसान की भरपाई के लिए सहायता नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश रूस की आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत ‘तेल’ छीनने के प्रयास तेज कर रहे हैं.
यूरोन्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध अपने आठवें महीने के करीब है, जिसका अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है. पश्चिमी देशों को संदेह है कि क्रेमलिन जीवाश्म ईंधन की निरंतर बिक्री से अपने मुनाफे के साथ आक्रमण को नियंत्रित कर रहा है, जो इसके बजट का 40 फीसदी से अधिक है. जी-7 के देश रूस के कार्गो को तेल बेचने से रोकेगी, जो अभी भी उनकी सीमा से परे है.
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रूस के केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, कच्चे तेल के निर्यात से रूस को वर्ष 2021 में करीब 113 बिलियन यूरो की आमदनी हुई थी. इसमें गैसोलीन और डीजल बिक्री से रूस सबसे अधिक करीब 70 बिलियन यूरो की कमाई की थी. हाल ही में सऊदी अरब और रूस समेत ओपेक देशोंके नेताओं ने तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है. इसके पीछे उनका तर्क यह है कि पिछले दो साल से तेल की कीमतों में इजाफा नहीं किया गया है. अमेरिका और यूरोप को आर्थिक तौर पर टक्कर देने के लिए रूस कच्चे तेल की बिक्री से भारी राजस्व का संग्रह करता है.