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रूस में राष्ट्रपति चुनाव 15 मार्च से, 11.2 करोड़ लोग करेंगे मतदान, व्लादिमीर पुतिन का जीतना तय

रूस में 15 से 17 मार्च तक राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. इसमें 11.2 करोड़ लोग वोटिंग करेंगे. इस चुनाव में व्लादिमीर पुतिन का जीतना तय माना जा रहा है.

रूस में राष्ट्रपति चुनाव 15 से 17 मार्च तक होने वाले हैं. इसमें व्लादिमीर पुतिन का जीतना तय माना जा रहा है. वह साल 2030 तक एक बार फिर राष्ट्रपति चुन लिये जायेंगे. इस जीत के साथ ही पुतिन जोसेफ स्टालिन के बाद सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति पद पर बने रहने वाले नेता बन जायेंगे. यह चुनाव यूक्रेन युद्ध और घरेलू चुनौतियों के बीच होने जा रहा है. इसमें पुतिन के खिलाफ कोई दमदार विपक्षी नेता मैदान में नहीं है. मतदान से पहले हुए एक सर्वे के मुताबिक, पुतिन को 75 प्रतिशत वोट मिलने वाले हैं, जबकि उनके तीन मुख्य विरोधियों में से प्रत्येक को पांच प्रतिशत या उससे कम वोट मिलने के संकेत हैं.

पुतिन के विरोधियों पर पहले से ही कस दिया गया नकेल
पुतिन के विरोधियों पर पहले से ही नकेल कस दिया गया है. कुछ पर प्रतिबंध लगाये गये हैं, तो कुछ को कैद कर लिया गया है. इसके बावजूद क्रेमलिन ने पुतिन के चुनाव प्रचार पर एक अरब यूरो से अधिक खर्च किया है. बताया जा रहा है कि पुतिन की टीम उनके पक्ष में लोगों से ज्यादा से ज्यादा वोट करने की अपील कर रही है. शायद पुतिन ऐसा इसलिए कर रहे हैं, ताकि वह ईरान जैसे तानाशाही शासनों से समान नुकसान से बच सके. ईरान में हाल के संसदीय चुनावों में 41% का रिकॉर्ड कम मतदान हुआ था, जो 1979 की क्रांति के बाद से सबसे कम है. यह इस्लामी शासन के प्रति मोहभंग को दर्शाता है. वहीं, वेनेजुएला में 2020 के संसदीय चुनावों में 31 फीसदी मतदान हुआ था. इसलिए पुतिन चाहते हैं कि उनके पक्ष में कम मतदान न हो.

पुतिन को ये दे रहे टक्कर
निकोलई खारितोनोव
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हैं. 75 वर्षीय निकोलई रूस में बेहद लोकप्रिय हैं. रूस के लोग उन्हें नेता मानते हैं. हालांकि, मतदान पूर्व सर्वे में केवल चार प्रतिशत ही वोट मिला है.

लियोनिड ल्स्टस्की
लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रशिया के नेता हैं. 56 वर्षीय लियोनिड अक्सर टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हैं और पश्चिमी देशों की बुराई करते हैं. इनकी लोकप्रियता खास नहीं है.

व्लादिस्तलाव दावानकव
रूस के सबसे युवा नेता हैं. 40 वर्षीय व्लादिस्तलाव की पार्टी भी 2020 में ही बनी है. पार्टी का नाम यस टू चेंज और टाइम फॉर न्यू पीपल है. हालांकि, रूस में इनकी कोई खास पहचान नहीं है.

चुनाव पर फिजूल खर्ची का आरोप
यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी राष्ट्रपति चुनाव पर करीब 200 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च होने का अनुमान है. विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन युद्ध के बाद चुनाव पर भारी भरकम पैसा खर्च करना फिजूल खर्ची है.

नवलेनी की मौत से विपक्ष को हुआ नुकसान
राष्ट्रपति पुतिन के आलोचक रहे एलेक्सी नवलेनी की मौत इस साल फरवरी में हो गयी थी, जिससे विपक्ष को बड़ा झटका लगा था. पश्चिमी मीडिया ने नवलेनी की मौत को रूस में राजनीतिक दमन बताया था. वहीं, साल 2018 के बाद करीब 116,000 रूसियों को राजनीतिक दमन का सामना करना पड़ा है.

11.2 करोड़ लोग करेंगे मतदान
राष्ट्रपति चुनाव में 11.2 करोड़ लोग मतदान करनेवाले हैं. रूस के बहुत से लोग दूसरे देशों में रह रहे हैं, जिनके पास वोटिंग का अधिकार है. ये लोग 19 लाख हैं. इसके अलावा रूस ने कजाकिस्तान में एक बंदरगाह लीज पर लिया हुआ है. यहां भी उसके 12 हजार वोटर रहते हैं.

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