Prince Charles: किंग चार्ल्स बिना पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस करेंगे यात्रा, मिलेंगी ये सारी सुविधायें
किंग चार्ल्स तृतीय को ब्रिटेन के महाराज बनने के साथ उन्हें कई सारी सुविधायें मिलेंगी. किंग चार्ल्स राजा का पदभार संभालने के साथ बिना डाइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट की यात्रा कर सकेंगे. क्योंकि इसमें राजा की ही तस्वीर होती है. वैसे में वो कहीं भी यात्रा कर सकेंगे.
किंग चार्ल्स तृतीय (King Charles III) को एक्सेशन काउंसिल के एक ऐतिहासिक समारोह में ब्रिटेन का नया महाराज घोषित किया गया. उनकी मां एवं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का बृहस्पतिवार को निधन हो जाने के बाद 73 वर्षीय पूर्व प्रिंस ऑफ वेल्स की ताजपोशी की गई है. लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में ताजपोशी की औपचारिक घोषणा करने और उनके शपथ ग्रहण के लिए आयोजित किया गया. किंग चार्ल्स तृतीय अपनी पत्नी, क्वीन कॉन्सर्ट कैमिला तथा अपने बेटे एवं उत्तराधिकारी प्रिंस विलियम के साथ समारोह में शरीक हुए. प्रिंस विलियम नये प्रिंस ऑफ वेल्स हैं.
किंग चार्ल्स तृतीय को ब्रिटेन के महाराज बनने के साथ उन्हें कई सारी सुविधायें मिलेंगी. किंग चार्ल्स राजा का पदभार संभालने के साथ बिना डाइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट की यात्रा कर सकेंगे. क्योंकि इसमें राजा की ही तस्वीर होती है. वैसे में वो कहीं भी यात्रा कर सकेंगे.
किंग चार्ल्स का दो बार जन्मदिन मनाया जाएगा. जैसा की उनकी मां महारानी एलिजाबेथ का मनाया जाता था. एलिजाबेथ का जन्मदिन एक बार निजी समारोह में मनाया जाता था, दूसरी बार सार्वजनिक समारोह में मनाया जाता था. सार्वजनिक समारोह में सैन्य परेड भी होते हैं, जिसमें 1400 से अधिक सैनिक, 200 घोड़े और 400 से अधिक संगीतकार होते हैं.
ब्रिटेन के राजा मतदान नहीं करते हैं और न ही वो किसी चुनाव में उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं. क्योंकि वो देश के सर्वोच्च अधिकारी होते हैं.
ब्रिटेन के राजा ने केवल लोगों पर शासन करते हैं, बल्कि इंग्लैंड और वेल्स में खुले पानी में तैरते हंसों को भी महाराजा की संपत्ति माना जाता है. हर साल टेम्स नदी में हंसों को गिनने की परंपरा रही है. ब्रिटिश जल में स्टर्जन, डॉल्फिन और व्हेल पर भी लागू होता है.
ब्रिटेन के महाराजा को गंभीर संवैधानिक सकंट में अपनी विशेषाधिकार शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति है. हालांकि अबतक ऐसी नौबत नहीं आयी है.
ब्रिटेन में कोई भी कानून तब बनता है, जब उसमें किंग की स्वीकृति मिल जाती है. पहले दोनों सदनों में बिल को पारित किया जाता है, तब उसके बाद उसे स्वीकृति के लिए महाराजा के पास भेजा जाता है. किंग की स्वीकृति के बाद कानून बनता है.