नेपाल में संसद भंग का प्रस्ताव मंजूर, 30 अप्रैल से 10 मई के बीच होगा चुनाव, मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर मंत्री ने उठाये सवाल

Proposal for dissolution of parliament in Nepal approved, elections will be held between April 30 and May 10, Minister raises questions on the recommendation of the Council of Ministers : काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार की सुबह मंत्रिपरिषद की आपात बैठक बुला कर संसद को भंग करने की सिफारिश की. राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद भंग करने के मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया. इसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने काठमांडू में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2020 5:16 PM

काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार की सुबह मंत्रिपरिषद की आपात बैठक बुला कर संसद को भंग करने की सिफारिश की. राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद भंग करने के मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया.

मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को यह भी घोषणा कर दी कि राष्ट्रीय चुनाव अगले साल 30 अप्रैल से 10 मई के बीच कराये जायेंगे. मालूम हो कि साल 2017 में चुनी गयी प्रतिनिधि सभा में कुल 275 सदस्य हैं.

इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को सात मंत्रियों के साथ संसद के अध्यक्ष और राष्ट्रपति को इस्तीफा देते हुए संसद भंग करने की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने स्वीकार कर लिया.

नेपाल के ऊर्जा मंत्री बरसमैन पुन ने कहा है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा बुलायी गयी एक आपातकालीन बैठक में मंत्रिपरिषद संसद को भंग करने की सिफारिश की गयी है. यह (सिफारिश) राष्ट्रपति को भेजी गयी है.”

इधर, संसद भंग करने की सिफारिश किये जाने के बाद विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं. सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायणजी श्रेष्ठ ने कहा है कि ”यह निर्णय जल्दबाजी में किया गया है. क्योंकि, आज सुबह कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्री उपस्थित नहीं थे. यह लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है और राष्ट्र को पीछे ले जायेगा. इसे लागू नहीं किया जा सकता.”

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