कोलंबो: श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के साथ बैठक के बाद कोलंबो बंदरगाह के श्रमिकों ने व्यस्ततम बंदरगाह के कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने से रोकने के लिए कथित भारतीय दबाव के खिलाफ जारी अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर लिया. बृहस्पतिवार को श्रमिकों ने कहा था कि अगर सरकार किसी अन्य देश को ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) बनाने की मंजूरी देती है तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. श्रीलंका की पूर्ववर्ती सिरीसेना सरकार ने ईसीटी को विकसित करने के लिए त्रिपक्षीय प्रयास के तहत भारत और जापान के साथ सहयोग ज्ञापन (एमओसी) पर हस्ताक्षर किए थे. ईसीटी 50 करोड़ अमेरिकी डालर के चीन संचालित कोलंबो इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल (सीआईसीटी) के पास स्थित है. एमओसी पिछले साल पूरा हो गया था लेकिन टर्मिनल विकास के लिए औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर होना बाकी है.
श्रमिकों के विभिन्न संगठन सरकार पर एमओसी को छोड़ने और टर्मिनल को सौ फीसदी श्रीलंकाई उद्यम के रूप में विकसित करने के लिए दबाव डाल रहे हैं एक श्रमिक संगठन के नेता शमाल सुमनार्त ने ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के लिए उनका शुक्रिया अदा करते हैं, और हम खुश हैं कि हमारे कदम की वजह से हम अपनी संस्था को बचाने में सफल हुए. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राजपक्षे ने आज सुबह श्रमिक संगठनों के साथ दक्षिण में स्थित अपने घर पर बातचीत की. पिछले सप्ताह बंदरगाह के श्रमिकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए अधिकारियों से अपील की थी कि वे नए आयातित गैन्ट्री क्रेन को ईसीटी पर लगाएं. इन क्रेनों को जया कंटेनर टर्मिनल पर लगाने के लिए आयात किया गया है जिसका संचानल श्रीलंका पोर्ट अथॉरिटी (एसएलपीए) द्वारा किया जाता है.
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प्रदर्शनकारियों की यह मांग भारत और जापान के साथ हुए समझौते को रोकना था. श्रमिक संगठनों के नेताओं का कहना है कि राजपक्षे ने आदेश दिया है कि चीन से आयात किए गए तीन गैन्ट्री क्रेनों को ईसीटी पर उतारा जाए. इन नेताओं का कहना है कि यह पहला कदम है और प्रधानमंत्री मंत्रियों के साथ बैठक के बाद आगे का समाधान करेंगे. इससे पहले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने संवाददाताओं से कहा था कि ‘ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल’ (ईसीटी) को भारत को सौंपने के बारे में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.
Posted By: Pawan Singh