दुनिया में कई एजेंसियां चंद्रमा पर इंसानों को भेजने के प्रोजेक्ट बना रही है. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा इनमें से एक है. अंतरिक्ष अनुसंधान में तमाम शोधों के साथ इस बात पर भी शोध चल रहे हैं कि क्या इंसान ऐसी जगहों पर सुरक्षित रह सकता है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने बताया है कि चंद्रमा पर जाने वाले यात्रियों का इंटनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के मुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा कॉस्मिक विकरणों (Cosmic Radiation) का सामना करना पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक जब 2024 में महिला अंतरिक्ष यात्री पहुंचेंगी तो उन्हें इसकी सतह पर धरती से 200 गुना ज्यादा रेडिएशन का सामना करना होगा। पहली बार चंद्रमा की सतह पर रेडिएशन के बारे में जानकारी सामने आई है.
ऐसे समझिए रेडिएशन को
रेडिएशन ऊर्जा है, जो विद्युत चुंबकीय तरंगों या कणों में उत्सर्जित होती है। जिसमें दृश्य प्रकाश और गर्मी (इंफ्रारेड रेडिएशन) शामिल है, जिसे हम महसूस कर सकते हैं और अन्य को नहीं जैसे एक्सरे और रेडियो तरंगे।
चीनी और जर्मन शोधकर्ताओं ने किया अध्ययन
चीन और जर्मनी की टीम के द्वारा जमा गए आंकड़े अमेरिका के साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. ये आंकड़े चीन की चंद्रमा की देवी के नाम पर रखे गए चांग ई-4 लैंडर ने ये आंकड़े वैज्ञानिकों को उपलब्ध कराए हैं.
जर्मनी के कील स्थित विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर रॉबर्ट विमर श्विंगरबर ने कहा कि हमने चंद्रमा पर रेडिएशन का स्तर मापा जो धरती की सतह से 200 गुना और न्यूयॉर्क से फ्रैंकफर्ट की फ्लाइट से 5 से 10 गुना अधिक है. वे भी अध्ययन से जुड़े रहे हैं. अध्ययन के मुताबिक अंतरिक्ष यात्रियों को सर्वाधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणों के ज्यादा संपर्क में रहने से यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र या अन्य अंग प्रणालियों के कैंसर और ऐसे ही रोगों की ओर ले जा सकता है.
कैंसर सबसे प्रमुख जोखिम
अपने इमेल में विमर-स्विनग्रूबर ने कहा कि कैंसर सबसे प्रमुख जोखिम है. इंसान इस तरह के विकिरणों के स्तर के लिए नहीं बना है और चंद्रमा पर रहते हुए उसे इसका बचाव के बारे में सोचना हो. पूरे चंद्रमा पर इस तरह के विकिरण एक समान ही होंगे, लेकिन गहरे क्रेटर्स की दीवारों के पास इनका प्रभाव नहीं होगा. अहम बात यह है कि आप आकाश को जितना कम देखेंगे उतना ही बेहतर होगा क्यों कि विकिरण का मूल स्रोत वही है.
इतनी मोटी होनी चाहिए दीवार
जर्मन शोधकर्ताओं का कहना है कि चंद्रमा पर वहां कि मिट्टी से बने सुरक्षा स्थल कई दिनों तक कायम रह सकते हैं, दीवारों कम से कम 80 सेमी की होना चाहिए. वहां मिट्टी भी कॉस्मिक विकिरणों से अंतर्करिया कर अपना खुद का विकिरण भी उत्सर्जित करेगी.