श्रीलंका में राष्ट्रपति ने की मंत्रिमंडल की बैठक, एक हफ्ते के भीतर हालात सामान्य बनाने के तरीकों पर चर्चा
श्रीलंका में राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने पहली बार मंत्रिमंडल की बैठक की. इस दौरान आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में एक सप्ताह के भीतर स्थिति सामान्य करने के तरीकों पर चर्चा की. श्रीलंका सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते खाद्य पदार्थ से लेकर हर चीज महंगी हो गई है.
श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) की अगुवाई में पहली बार बैठक की और आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में एक सप्ताह के भीतर स्थिति सामान्य करने के तरीकों पर चर्चा की. मीडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति सचिवालय जैसे सरकारी संस्थानों के कामकाज को नियमित करके एक हफ्ते के भीतर स्थिति सामान्य करने के तरीकों पर चर्चा की गई.
राष्ट्रपति ने बुलाई बैठक
डेली मिरर अखबार में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, शुक्रवार को नए मंत्रिमंडल की नियुक्ति के बाद राष्ट्रपति ने बैठक बुलायी. अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि उन्होंने इस पर चर्चा की कि देश में प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय जैसे सरकारी संस्थानों और स्कूलों का कामकाज नियमित करके एक सप्ताह के भीतर स्थिति सामान्य होनी चाहिए. मंत्रिमंडल को सूचित किया गया कि एक महीने के लिए पर्याप्त ईंधन है और कोटा व्यवस्था के तहत वितरण तेज किया जाना चाहिए.
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कही ये बात
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने सुरक्षाबलों को संविधान बरकरार रखने और ऐसा माहौल बनाने का अधिकार दिया है, जिसमें लोग बिना डर के रह सकें. मंत्रिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बातचीत पर भी चर्चा की, जो वित्तीय सहायता हासिल करने के लिए की जा रही है. इस बीच, विपक्ष ने प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से 25 जुलाई को संसद सत्र बुलाने का अनुरोध किया, ताकि सुरक्षाबलों की ओर से शुक्रवार को गाले फेस में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर की कार्रवाई और देश के मौजूदा हालात पर चर्चा की जा सके.
श्रीलंका की जनता ने विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति मानने से किया इनकार
गौरतलब है कि असॉल्ट राइफल और लाठी-डंडों से लैस श्रीलंकाई सुरक्षाबलों और पुलिस ने शुक्रवार को राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर डेरा जमाए सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को जबरन हटा दिया. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों और प्रधानमंत्री के कार्यालय को खाली कर दिया है, जिस पर उन्होंने नौ जुलाई को कब्जा जमाया था, लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय के कुछ कमरों पर अब भी कब्जा जमाया हुआ था. उन्होंने विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया.
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आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका
नौ अप्रैल के बाद से राष्ट्रपति कार्यालय तक प्रवेश बाधित करने वाले मुख्य प्रदर्शनकारी समूह ने कहा कि विक्रमसिंघे के इस्तीफा देने तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. श्रीलंका की नयी सरकार की सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाने में बल का इस्तेमाल करने के लिए आलोचना की गयी है. गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. (भाषा)