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कोरोना वायरस संकट के वक्त शरणार्थी महिलाओं के प्रति हिंसा का खतरा सर्वाधिक: यूएनएचसीआर

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट के वक्त विस्थापित महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा का खतरा सर्वाधिक है.

जेनेवा : संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट के वक्त विस्थापित महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा का खतरा सर्वाधिक है. यूएनएचसीआर ने कहा कि इन हालात में वे ‘जिंदा रहने के लिए देह व्यापार’ अथवा बाल विवाह जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकती हैं. यूएनएचसीआर के एक सहायक उच्चायुक्त गिलियन ट्रिग्स ने कहा,‘‘हमें महामारी के इस वक्त शरणार्थी और विस्थापित महिलाओं तथा लड़कियों की तरफ तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.

”उन्होंने कहा, ‘‘वे उन लोगों में हैं जिनके खतरे की जद के आने की ज्यादा आशंका है. शोषण करने वालों को कोई मौका नहीं दिया जाना चाहिए. ऐसा हो सकता है कि विस्थापित महिलाएं शोषण करने वालों के हाथों में पड़ जाएं वहीं अन्य महिलाएं आजीविका के साधन बंद हो जाने के कारण जीवित रहने के लिए देह व्यापार अथवा बाल विवाह जैसे कदम उठाने के लिए विवश हो जाएं. ”

संस्था ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई देशों में जो पाबंदियां लगाई गई हैं उनसे सहयोग देने वाली सेवाओं तक पहुंच सीमित हो गई है. उसने कहा कि महिलाओं को खतरे से बचाने के लिए यूएनएचसीआर आपात नकद बांट रही है. ट्रिग्स ने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विस्थापित महिलाओं के प्रति ‘हिंसा के बढ़ते खतरों’ को कोविड-19 कार्य योजना में शामिल किया जाए.

आपको बता दें कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 17 हजार के पार चली गयी है, वहीं इससे मरने वालों की संख्या 543 हो गयी है, अगर हम पूरे विश्व की बात करें तो इस महामारी से संक्रमित मरीजों की संख्या 2 लाख के पार चली गयी है.

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