Britain New PM : ऋषि सुनक…यह वो नाम है जो इस वक्त सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. दरअसल, ऋषि सुनक जिनकी उम्र 42 साल है, उन्होंने रविवार को कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व पद की दौड़ में जीत हासिल की और अब वह ब्रिटेन के भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं. भारत के साथ उनका गहरा संबंध है. इस खबर के प्रकाश में आने के बाद उनके ससुर और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति का बयान सामने आया है. मूर्ति ने अपने दामाद ऋषि सुनक को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनाये जाने पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें उन पर गर्व है और हम उनकी सफलता की कामना करते हैं.
ऋषि सुनक के ससुर नारायण मूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ को ईमेल के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ऋषि को बधाई…हमें उन पर गर्व है और हम उनकी सफलता की कामना करते हैं. हमें विश्वास है कि वह ब्रिटेन के लोगों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे.
Also Read: पीएम मोदी ने ऋषि सुनक को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री निर्वाचित होने पर बधाई दी, ट्वीट कर कह दी ऐसी बातआइए आपको ऋषि सुनक के बारे में बताते हैं. एक फार्मासिस्ट मां और डॉक्टर पिता के बेटे सुनक की शिक्षा इंग्लैंड के सबसे प्रसिद्ध स्कूलों में से एक विनचेस्टर और फिर ऑक्सफोर्ड में हुई. उन्होंने गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक कंपनी में तीन साल तक अपनी सेवा दी. इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड से एमबीए किया, जहां उनकी मुलाकात इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई. इस कपल ने 2009 में शादी कर ली. दंपति की दो बेटियां कृष्णा और अनुष्का हैं.
ऋषि सुनक की बात करें तो वो पहली बार साल 2015 में रिचमंड, यॉर्कशायर के सांसद बने थे. उसके बाद से वे लगातार वहां का प्रतिनिधित्व करते रहे. पिछले साल सुनक रिचमंड (यॉर्क्स) सीट से दूसरी बार सांसद चुन लिये गये थे. वित्त मंत्री होने से पहले उन्हें साल 2018 में ब्रिटेन के आवास मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. सुनक को अक्टूबर 2014 में पार्टी के पूर्व नेता और विदेश सचिव विलियम हेग के स्थान पर रिचमंड (यॉर्क) के लिए कंजर्वेटिव उम्मीदवार चुना गया था. इसके बाद साल 2015 में आम चुनाव हुए, उन्होंने 19,550 वोट पाकर 36.2% के बहुमत से जीत दर्ज की.
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के चुनाव प्रचार कैम्पेन जब चल रहा था तो उसमें सुनक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आये थे. मीडिया इंटरव्यू के लिए सरकार अक्सर उनपर विश्वास जताती थी और उन्हें ही आगे रखा जाता था. कई मौके ऐसे भी आये जब टीवी डिबेट में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की जगह ऋषि को भेजा गया.