यूं तो हैकिंग और डेटा लीक की खबरें आये दिन आती ही रहती है लेकिन, अब ऐसी ही एक खबर रूस से आयी है. रूस के फेडरल जांच एजेंसी ने दावा किया है कि अमेरिका और एपल ने मिलकर उनके देश के हजारों आईफोन की हैकिंग की है. रूस ने यह आरोप अमेरिका की सरकार और iPhone मैन्युफैक्चरिंग कंपनी Apple दोनों पर लगाया है. बता दें जांच एजेंसी ने दावों से जुड़े कोई सबूत फिलहाल पेश नहीं किये हैं. वहीं दूसरी तरफ कंपनी ने भी लगाए गए आरोपों के खिलाफ अपना बयान जारी कर लिया है और रूस के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.
रूस की साइबर सिक्योरिटी कंपनी कैस्परस्की लैब ने अपने एक बयान में दावा किया है कि उनके वहां काम कर रहे स्टाफ के आईफोन में फाइल्स चुराने वाले मालवेर इंसटाल कर दिया है. यह मालवेर उन सभी कर्मचारियों के स्मार्टफोन में इंस्ट्राल किया गया है जो कि पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं. आगे बताते हुए कैस्परस्की लैब ने बताया कि- हैकिंग की शुरुआत आईमैसेज से की गयी थी और इसमें यूजर का कोई हाथ नहीं था. जांच एजेंसी ने बताया कि फिलहाल इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है.
फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ने दावा करते हुए बताया कि जिन लोगों के फोन्स हैक किये गए हैं उनमें कई डिप्लोमेट्स और टॉप लेवल के अधिकारी भी मौजूद हैं. रूसी सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार का मानना है कि आईफोन का इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं है. जांच एजेंसी ने आगे बताया कि जिन अधिकारीयों के फोन्स हैक किये गए हैं उनमें चीन और इजराइल के अधिकारी भी शामिल हैं और इनकी पोस्टिंग रूस में की गयी है. बता दें चीन और इजराइल ने अभी तक इस मामले में कोई बयान नहीं दिया हैं.
रूस की फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी के आरोपों पर एपल ने बयान जारी कर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया. एपल ने बताया कि कंपनी ने कभी भी किसी सरकार के साथ मिलकर काम नहीं किया है. एपल के प्रोडक्ट्स में कोई गलत चीज इंस्टॉल नहीं की गई है और ना कभी की जाएगी.