Russia Ukraine War: यूक्रेन में चल रहे युद्ध की सार्वजनिक छवि बनाने में ड्रोन कैमरे से प्राप्त फुटेज का बड़ा हाथ है. अनजान सैनिकों पर गिरते बम, बमबारी से तहस-नहस हुए शहरों के ऊपर बिना किसी आहट के उड़ते विमान और बख्तरबंद गाड़ियों तथा सैन्य ठिकानों पर अचानक होने वाले हमले इस बात का उदाहरण हैं कि इस युद्ध में ड्रोन की भूमिका बेहद अहम है. युद्ध के इतिहास में यूक्रेन से पहले ड्रोन का इतना व्यापक इस्तेमाल नहीं किया गया था.
उन्नत ड्रोन पाने का हो रही कोशिश: रूस और यूक्रेन दोनों ही, उड़ने में सक्षम इन मानवरहित विमानों (यूएवी) पर निर्भर हैं ताकि वे शत्रु के ठिकानों पर सटीकता से निशाना साध कर अपने तोपखाने से गोलाबारी कर सकें. परंतु कई महीनों से चल रहे इस युद्ध के बाद दोनों पक्षों के ड्रोन की संख्या घट गई है और अब वे ऐसे उन्नत ड्रोन बनाने या खरीदने का प्रयास कर रहे हैं जिसकी प्रणाली को जाम न किया सके और उनके इस्तेमाल से निर्णायक लाभ मिल सके. व्हाइट हाउस ने सोमवार को इसका खुलासा किया था कि उसे ऐसी सूचना मिली है कि ईरान मास्को को सैकड़ों यूएवी दे सकता है.
सौदा करना चाहता है ईरान: ईरान के ड्रोनों ने अमेरिका द्वारा पश्चिम एशिया में सऊदी और अमीरात को दी गई वायु रक्षा प्रणाली में प्रभावी रूप से सेंध लगाने में सफलता पाई थी. सीएनए नामक सैन्य विचारक संस्था के विश्लेषक सैमुएल बेंडेट ने कहा, “रूस का ड्रोन बल सक्षम हो सकता है, लेकिन वे खत्म हो रहे हैं. रूसी सेना ईरान के इतिहास को देखते हुए उससे सौदा करना चाहती है.” बेंडेट ने कहा कि इस बीच यूक्रेन ऐसे हथियार चाहता है जिसकी सहायता से अधिक दूरी से रूस के कमान और नियंत्रण वाले ठिकानों को निशाना बनाया जा सके.
यूक्रेन को ड्रोन की तत्काल जरूरत है और वह पहले से मौजूद ड्रोनों की प्रणाली को जाम रहित बनाने का प्रयास भी कर रहा है. दोनों ही पक्ष युद्ध में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए चंदा एकत्र कर रहे हैं. यूक्रेन के एक वरिष्ठ अधिकारी यूरी श्चिगोल ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, “हमें बड़ी मात्रा में ड्रोन चाहिए.” उन्होंने कहा कि इसके लिए “आर्मी ऑफ ड्रोन्स” नामक चंदा एकत्र करने का अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन शुरुआती तौर पर दो सौ नाटो-स्तरीय सैन्य ड्रोन खरीदना चाहता है और उसे इन मशीनों की 10 गुना अधिक जरूरत है. यूक्रेन के सैनिकों की शिकायत है कि उनके पास सैन्य स्तरीय ड्रोन नहीं हैं जो रूस की जाम करने की प्रणाली व रेडियो नियंत्रित ‘हाइजैकिंग’ से बच सकें.