लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान का नया आर्मी चीफ चुना गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुनीर को नया सेना प्रमुख चुना है. मुनीर सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेंगे. बता दें, बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने ट्विटर पर घोषणा की कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुनीर को पाकिस्तान का नया सेना प्रमुख नामित किया है.
बाजवा के पसंदीदा हैं मुनीर: लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर लंबे समय से जनरल बाजवा के करीबी सहयोगी रहे हैं. उन्हें बाजवा का पसंदीदा सहयोगी माना जाता है. बाजवा के बाद मुनीर पाकिस्तान के 17वें सेना प्रमुख नियुक्त होंगे. लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर ने ‘ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल’ के माध्यम से सेवा में प्रवेश किया, जिसके बाद उन्हें ‘फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट’ में नियुक्त किया गया. बाद में उन्हें सैन्य खुफिया महानिदेशक नियुक्त किया गया.
पुलवामा हमले से जुड़ा है नाम: लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान का नया सेना प्रमुख बन रहे हैं. बता दें, मुनीर का कनेक्शन भारत में हुए पुलवामा हमले से भी जुड़ा है, उस हमले में सेना के 40 जवान शहीद हो गये थे. दरअसल जिस समय पुलवामा अटैक हुआ था उस समय मुनीर पाकिस्तान की खुफिया विभाग आईएसआई के प्रमुख थे. पुलवामा हमला आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कराया था लेकिन यह भी दावा किया जाता रहा है कि इस काम के लिए पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का पूरा हाथ रहा है.
इमरान से हुआ था विवाद: लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का प्रमुख भी बनाया गया था. लेकिन खुफिया विभाग के सर्वोच्च अधिकारी के रूप में उनका कार्यकाल अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल रहा है. उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के दबाव पर महज आठ महीने के भीतर ही पद से हटा दिया गया था और उनके स्थान पर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को नियुक्त किया गया था.
पाकिस्तान में काफी अहम है आर्मी चीफ का पद: पाकिस्तान में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी सशस्त्र बलों में सबसे बड़ा पद है. लेकिन सेना में सैनिकों की तैनाती उनकी नियुक्तियों और स्थानांतरण समेत सभी प्रमुख शक्तियां थल सेनाध्यक्ष के पास होती हैं. इस कारण पाकिस्तानी फौज में सेना प्रमुख को सबसे ताकतवर माना जाता है. सेना का पाकिस्तान में क्या रोल है इसका पता इसी बात से चलता है कि आजादी के 75 साल में पाकिस्तान पर आधे से ज्यादा वक्त सेना का शासन रहा है.
भाषा इनपुट से साभार