SCO Summit: भारत-चीन और पाकिस्तान कल समरकंद में होंगे आमने-सामने, इन मुद्दों पर होगी चर्चा
एससीओ आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों पर आठ सदस्यीय समूह है जिसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं. एससीओ का मुख्यालय बीजिंग में है.
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक 15 और 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में होने जा रही है. इस बैठक भारत, चीन, पाकिस्तान समेत 8 देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मुलाकात करेंगे. यह बैठक ऐसे समय में होने जा रही है जब कई देशों के समिकरण बदले हुए हैं. बता दें कि इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रीएम शहबाज शरीफ के साथ वन टू वन मुलाकात करेंगे.
इन मुद्दों पर होगी चर्चा
एससीओ शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग छीड़ा है. वहीं, भारत और चीन की सीमा पर तनाव देखें जा रहे हैं. ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि इस बैठक में सभी नेता एससीओ की समीक्षा के साथ साथ बहुपक्षीय सहयोग को लेकर चर्चा कर सकते हैं. गौरतलब है कि पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी की यह मुलाकात साल 2019 के बाद होने जा रही है.
कोरोना महामारी के बाद पहली बार विदेश जा रहे राष्ट्रपति शी
चीन ने मंगलवार को कहा कि शी, दो साल से अधिक समय पहले कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत होने के बाद से पहली बार विदेश यात्रा पर जा रहे हैं. शी बुधवार को कजाखस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह अपने समकक्ष कासिम-जोमार्त तोकायेव के साथ वार्ता करेंगे. बाद में, पड़ोसी देश उज्बेकिस्तान में समरकंद की यात्रा करेंगे, जहां वह 15-16 सितंबर को एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे.
जानें क्या है एससीओ
एससीओ आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों पर आठ सदस्यीय समूह है जिसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं. एससीओ का मुख्यालय बीजिंग में है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल होंगे.
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सुरक्षा समझौते को लेकर हुई थी शुरूआत
एससीओ की शुरूआत साल 1996 में की गई थी. इस संगठन में चीन, कजाकिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान के बीच आपसी सुरक्षा समझौता को लेकर किया गया था, जिसे एससीओ का नाम दिया गया. हालांकि साल 2001 में इन देशों के नेताओं ने सुरक्षा के साथ साथ राजनीतिक और आर्थिक सहयोग पर चर्चा को लेकर एक नए संगठन की घोषणा की, जिसमें 8 देश शामिल हुए.