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फ्रांस और इटली समेत कई यूरोपीय देशों ने एस्ट्राजेनेका टीके को फिर से दी मंजूरी, सबने मानी विश्व स्वास्थ्य संगठन की बात

यूरोपीय चिकित्सा नियामक की ओर से टीके के इस्तेमाल को लेकर ऐसे वक्त पर घोषणा की गई है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन और ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने एस्ट्राजेनेका को पूरी तरह सुरक्षित बताया गया है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि टीका नहीं लगवाना बड़ा खतरा मोल लेना है, क्योंकि दुनिया के कई देश कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों का सामना कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2021 12:48 PM
  • खून का थक्का जमने की शिकायत के बाद यूरोप में एस्ट्राजेनेका पर लगी थी रोक

  • फ्रांस और इटली समेत यूरोप के एक दर्जन से अधिक देशों ने लगाया था प्रतिबंध

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय चिकित्सा नियामक ने टीका को बताया सुरक्षित

लंदन : इटली और फ्रांस समेत यूरोपीय देशों ने कोरोना का टीका एस्ट्राजेनेका को एक बार फिर से इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. खबर है कि यूरोपीय चिकित्सा नियामक ने एस्ट्राजेनेका को सुरक्षित और असरदार बताया था. इसके बाद से यूरोपीय यूनियन कई देशों ने गुरुवार से कोरोना के इस टीके का दोबारा इस्तेमाल में लाने का फैसला किया है. करीब एक दर्जन से अधिक यूरोपीय देशों ने खून का थक्का जमने की शिकायत के बाद इस टीके के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. बताया जा रहा है कि यूरोपीय देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की उस बात को स्वीकार लिया है, जिसमें यह कहा गया था कि कोरोना का टीका एस्ट्राजेनेका पूरी तरह से सुरक्षित है.

यूरोपीय चिकित्सा नियामक की ओर से टीके के इस्तेमाल को लेकर ऐसे वक्त पर घोषणा की गई है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन और ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने एस्ट्राजेनेका को पूरी तरह सुरक्षित बताया गया है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि टीका नहीं लगवाना बड़ा खतरा मोल लेना है, क्योंकि दुनिया के कई देश कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों का सामना कर रहे हैं. यूरोपीय चिकित्सा नियामक की घोषणा के बाद वैक्सीन को जर्मनी जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, लिथुआनिया, लातविया, स्लोवेनिया और बुल्गारिया आदि देशों ने दोबारा इस्तेमाल की अनुमति दे दी है.

यूरोपीय चिकित्सा नियामक की प्रमुख एमर कूक ने कहा कि एस्ट्राजेनेका की जांच के बाद समिति ने पाया है कि वैक्सीन सुरक्षित और असरदार है. कूक के अनुसार, कमेटी ने यह भी पाया कि टीके का थ्रोम्बोम्बोलिक घटनाओं या खून का थक्का जमने से कोई लेना-देना नहीं है. ब्रिटेन के चिकित्सा नियामक का कहना है कि एस्ट्राजेने के टीके और खून के थक्कों के बीच कोई तार नहीं जुड़े हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को दोहराया कि एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाना ज्यादा बेहतर है.

उधर, टीका बनाने वाली कंपनी ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने चिकित्सा नियामक के फैसले का स्वागत किया है. हालांकि, नॉर्वे और स्वीडन ने कहा है कि वे टीके का इस्तेमाल जारी रखने के लिए तैयार नहीं हैं. टीके को लेकर हुए हंगामे के बाद वैश्विक स्तर पर टीकाकरण अभियान काफी प्रभावित हुई है.

बता दें कि दुनियाभर में अब तक कोरोना टीका के करीब 40 करोड़ खुराक दी जा चुकी है. सबसे बड़ी बात यह है कि सस्ते और आसानी से स्टोर किए जाने वाले एस्ट्राजेनेका को गरीब राष्ट्रों का टीका कहा जाने लगा है. इतना ही नहीं, ये टीका कोवैक्स का एक अहम हिस्सा भी बन गया है.

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Posted by : Vishwat Sen

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