Shinzo Abe: टोक्यो लाया गया शिंजो आबे का पार्थिव शरीर, 12 जुलाई को होगा अंतिम संस्कार

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का अंतिम संस्कार 12 जुलाई को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. आज उनका पार्थिव शरीर टोक्यो पहुंच गया है. बता दें कि बीते दिनों शिंजो को नारा में चुनावी सभा के दौरान गोली मार दी गई थी. जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2022 1:19 PM
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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का पार्थिव शरीर आज टोक्यो लाया गया. आबे का अंतिम संस्कार 12 जुलाई को होगा. आबे की शुक्रवार को पश्चिमी जापान में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आबे पर नारा शहर में हमला हुआ था और उन्हें हवाई मार्ग से एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन काफी खून बहने की वजह से उनकी जान नहीं बचाई जा सकी थी. पुलिस ने घटनास्थल पर ही हमलावर को पकड़ लिया था. वह जापान की नौसेना का पूर्व सदस्य है. पुलिस ने अपराध में इस्तेमाल देसी बंदूक भी बरामद कर ली थी.

शिंजो आबे का पार्थिव शरीर पहुंचा टोक्यो

शिंजो आबे का पार्थिव शरीर लेकर काले रंग का एक वाहन टोक्यो के आलीशान रिहायशी इलाके शिबुया में स्थित उनके घर पहुंचा. वाहन में आबे की पत्नी अकी भी सवार थीं. उनके घर पर कई लोग अपने नेता की अंतिम झलक पाने का इंतजार कर रहे थे. वाहन के सामने से गुजरने पर उन्होंने सिर झुका लिया. रविवार को होने वाले संसदीय चुनाव से पहले आबे की हत्या ने देश को सकते में डाल दिया है और इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त किए गए थे.

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आबे ने प्रधानमंत्री पद से दिया था इस्तीफा

आबे ने 2020 में यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि उनकी एक पुरानी बीमारी फिर से उभर आई है. पद पर न रहने के बावजूद आबे का सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में अच्छा-खासा रुतबा था और वह पार्टी के सबसे बड़े धड़े का नेतृत्व करते थे, लेकिन उनके घोर-राष्ट्रवादी विचारों ने उनके कई विरोधी खड़े कर दिए थे. आबे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देते समय पत्रकारों से कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए परेशान करने वाली बात है. उन्होंने वर्षों पहले उत्तर कोरिया द्वारा अगवा किए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे, रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद और जापान के युद्ध त्यागने वाले संविधान के संशोधन के मुद्दों को हल करने में अपनी नाकामी की बात स्वीकारी थी. गौरतलब है कि जापान को सख्त बंदूक कानूनों के लिए जाना जाता है. 12.5 करोड़ की आबादी वाले देश में पिछले साल बंदूक से संबंधित केवल 10 आपराधिक मामले आए थे, जिनमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए थे. (भाषा)

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