दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों पर आसियान ( दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन ) देशों की आपत्ति का अमेरिका ने स्वागत किया है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि हम इस बात से सहमत हैं कि दक्षिण चीन सागर विवाद का हल अंतरराष्ट्रीय कानून से हो. उन्होंने कहा कि हम जल्द ही इस बारे में विस्तार से बात करेंगे. बता दें कि चीन ऐतिहासिक आधार पर दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर अपना दावा कर रहा है. एशियाई देशों सहित अमेरिका इसके विरोध में हैं.
The United States welcomes ASEAN Leaders’ insistence that South China Sea disputes be resolved in line with international law, including UNCLOS. China cannot be allowed to treat the SCS as its maritime empire. We will have more to say on this topic soon. https://t.co/IUmzD7OksC
— Secretary Pompeo (@SecPompeo) June 27, 2020
पोम्पियो ने ट्वीट कर कहा कि अमेरिका आसियान नेताओं के इस आग्रह का स्वागत करता है कि दक्षिण चीन सागर के विवादों को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप सुलझाया जाना चाहिए, जिसमें यूएनसीएलओएस भी शामिल है. चीन को एससीएस को अपने समुद्री साम्राज्य के रूप में मानने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इस विषय पर जल्द ही हमें कुछ और कहना होगा.
गौरतलब है कि 27 जून को आसियान देशों के नेताओं ने 36वीं बैठक के बाद बयान जारी कर कहा कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के आधार पर दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण किया जाना चाहिए. ड्रैगन के खिलाफ दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं की यह अब तक की सबसे सख्त टिप्पणियों में से एक है.
आसियान के बयान में कहा गया, हम दोहराते हैं कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि समुद्री अधिकार, संप्रभुता, अधिकार क्षेत्र और वैधता निर्धारित करने के लिए आधार है. संयुक्त राष्ट्र की समुद्री क़ानून संधि ने कानूनी ढांचा मुहैया कराया है जिसके अंतर्गत सभी समुद्री गतिविधियां होनी चाहिए. चीनी अधिकारी इस बयान पर टिप्पणी करने के लिए तत्काल उपलब्ध नहीं हो सके, लेकिन दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के तीन राजनयिकों ने बताया कि एशिया में लंबे समय से संघर्ष के केंद्र रहे इस क्षेत्र में कानून का राज स्थापित करने के लिए इस क्षेत्रीय संगठन ने अपने रुख को मजबूत करने का संकेत दिया है. हालांकि, अधिकृत नहीं होने की वजह से इन राजनयिकों ने अपनी पहचान गुप्त रखी.
इस साल आसियान संगठन का नेतृत्व कर रहे वियतनाम ने इस अध्यक्षीय बयान का मसौदा तैयार किया है जिसपर चर्चा नहीं होती, बल्कि राय-मशविरा के लिए सदस्य देशों को भेजा जाता है. वियतनाम समुद्री विवाद के मुद्दे पर चीन के खिलाफ सबसे मुखर रहा है. उल्लेखनीय है कि चीन ने हाल के वर्षों में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस समुद्री क्षेत्र पर दावे को लेकर आक्रमक रुख अपनाया है. उसके द्वारा जिन इलाकों पर दावा किया जा रहा है, उससे आसियान सदस्य देशों वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन और ब्रुनेई के क्षेत्र में अतिक्रमण होता है। ताइवान ने भी विवादित क्षेत्र के बड़ हिस्से पर दावा किया है.
posted By: Utpal kant