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श्रीलंका ने चीनी ‘रिसर्च शिप’ को दी लंगर डालने की इजाजत! जानिए क्या है भारत की चिंता का कारण

चीनी जहाज शि यान को श्रीलंका के बंदरगाह में लंगर डालने की अनुमति मिलेगी या नहीं इसको लेकर उम्मीद की जा रही है कि इसका फैसला बीजिंग में बेल्ट-रोड-इनिशिएटिव शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति करेंगे.

चीनी अनुसंधान पोत शियान को श्रीलंका में लंगर डालने की अनुमति को लेकर श्रीलंका सरकार के सामने भ्रम की स्थित बनी हुई है. हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी पोत 25 अक्टूबर को श्रीलंका आने वाला है. ऐसे में श्रीलंका की रानिल विक्रमसिंघे सरकार के सामने बड़ा सवाल है कि वो इसे अनुमति दे या नहीं. रिपोर्ट के मुताबिक, शियान  कोलंबो और हंबनटोटा बंदरगाहों पर डॉकिंग के बाद अगले 17 दिनों के लिए श्रीलंकाई सरकारी एजेंसी NARA के साथ संयुक्त समुद्री सर्वेक्षण करेगा.

जहाज को मिल गई है अनुमति!
अंग्रेजी दैनिक अखबार द डेली मिरर की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि श्रलंका सरकार ने चीनी अनुसंधान जहाज शी यान को अपने बंदरगाह पर आने की अनुमति दे दी है. श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के हवाले से कहा जा रहा है कि मंत्रालय से लंगर डालने की अनुमति दे दी है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि NARA का चीनी शोध जहाज के साथ शोध करने का कार्यक्रम है. हालांकि यह जहाज अक्टूबर की कौन सी तारीख को श्रीलंका बंदरगाह पहुंचेगा यह अभी साफ नहीं हो पाया है. बता दें, चीन की ओर से बताया गया है कि शि यान 60 लोगों का एक दल है जो समुद्र विज्ञान, समुद्री पारिस्थितिकी और समुद्री भूविज्ञान परीक्षण का काम करता है.

चीनी पोत को लेकर भारत ने जताई चिंता
इधर, भारत ने अपने कोलंबो और हंबनटोटा गहरे समुद्री बंदरगाहों पर चीनी सर्वेक्षण, निगरानी और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर्स जहाजों को खुली छूट देने के लिए आधिकारिक तौर पर श्रीलंका के सामने चिंता जताई है. इस कड़ी में भारत ने कहा है कि यह भारत की सुरक्षा के लिहाज से अच्छा नहीं है. इससे पहले जुलाई में जब श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत यात्रा पर आये थे उस समय पीएम मोदी ने कहा था कि श्रीलंका की ओर से भारत की चिंता का समाधान किया जाये.

पहले भी भारत जाहिर कर चुका है चिंता
गौरतलब है कि इससे पहले भी भारत चीनी अनुसंधान पोत को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है. बीते साल भारत ने चीनी अनुसंधान पोत युआन वांग 5 के दक्षिण श्रीलंका आने पर चिंता जाहिर की थी. यही नहीं भारत ने इस पोत को अनुसंधान पोत नहीं बल्कि जासूसी पोत बताया था. इस पोत को  दक्षिणी श्रीलंका में चीन निर्मित हंबनटोटा बंदरगाह पर खड़ा किया गया था. वहीं, भारत ने इसका विरोध यह कहते हुए किया था कि इसका इस्तेमाल भारतीय सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों की जासूसी करने के लिए किया जा सकता है.

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कब फैसला लेंगे राष्ट्रपति विक्रमसिंघे
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी जहाज शि यान को श्रीलंका के बंदरगाह में टेक डालने की अनुमति मिलेगी या नहीं इसको लेकर उम्मीद की जा रही है कि इसका फैसला बीजिंग में बेल्ट-रोड-इनिशिएटिव शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति करेंगे. हालांकि चीनी पोत को लेकर श्रीलंका में दुविधा की स्थित यह है कि श्रीलंका मंदी के दौर में है. चीन और भारत दोनों ने उसकी बड़ी मदद की है. चीन तो सबसे बड़ा कर्जदाता भी है. ऐसे में श्रीलंका न तो भारत को और न ही चीन को नाराज करने का जोखिम उठा सकता है. भारत ने श्रीलंका को साल 2021 के आर्थिक और राजनीतिक संकट के बाद खाद्य पदार्थ, तेल और विमानन ईंधन सहित करीब 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद की थी.

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