कोलंबो: श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने शनिवार को अपने मंत्रिमंडल में चार मंत्रियों को शामिल किया. मंत्रिमंडल में जीएल पेरिज को विदेश मंत्री के रूप में शामिल किया गया है. ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘डेली मिरर’ की खबर के अनुसार, दिनेश गुणवर्धने को लोक प्रशासन मंत्री, पेरिज को विदेश मंत्री, प्रसन्ना रणतुंगा को शहरी विकास एवं आवास मंत्री और कंचना विजेसेकारा को बिजली एवं ऊर्जा मंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी.
महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार में भी पेरिज विदेश मंत्री थे. यह राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा घोषित सर्वदलीय अंतरिम सरकार में शामिल किये गये सभी चारों मंत्री राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजाना पुरमुना पार्टी (एसएलपीपी) से हैं. खबर के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने कहा कि विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या 20 तक रहने की उम्मीद है.
इस बीच, श्रीलंका में सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) ने नये प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को समर्थन देने का फैसला किया है, ताकि उन्हें सदन में बहुमत साबित करने में मदद मिल सके. विक्रमसिंघे के पास संसद में केवल एक सीट है. ज्यादातर विपक्षी दलों ने कहा है कि वे विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में पद नहीं लेंगे, लेकिन आर्थिक संकट से निपटने के लिए उनके कदमों का समर्थन करेंगे.
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यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 73 वर्षीय नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को स्थिरता प्रदान करने के लिए बृहस्पतिवार को देश के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी थी. कुछ दिन पहले ही महिंदा राजपक्षे को देश के बिगड़ते आर्थिक हालात के मद्देनजर हुई हिंसक झड़पों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
विक्रमसिंघे ने मुख्य विपक्षी दल समगी जन बालावेगाया (एसजेबी) के नेता से दलगत राजनीति को छोड़कर ज्वलंत मुद्दों को हल करने और देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के वास्ते एक गैर-पक्षपातपूर्ण सरकार बनाने में उनका साथ देने का आग्रह किया है. विक्रमसिंघे ने एसजेबी के नेता साजिथ प्रेमदासा को एक पत्र लिखा.
पत्र में उन्होंने ज्वलंत मुद्दों का तुरंत समाधान करने और विदेशी सहायता प्राप्त करके देश को आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से स्थिर करने के लिए प्रेमदासा का समर्थन मांगा. पत्र का जवाब देते हुए, प्रेमदासा ने प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में वह आर्थिक संकट से निपटने के प्रयासों में सरकार का समर्थन करेंगे.
प्रेमदासा की पार्टी एसजेबी ने यह दावा करते हुए सरकार का हिस्सा नहीं बनने का संकल्प लिया था कि विक्रमसिंघे के पास प्रधानमंत्री बनने के लिए जन स्वीकृति नहीं है. उन्होंने दोहराया है कि उनकी पार्टी राजपक्षे भाइयों के बिना सरकार बनाने के लिए दबाव डालती रहेगी.
इस बीच, वकीलों के निकाय बीएएसएल ने एक बयान में विक्रमसिंघे से संसद में सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति स्थापित करने की अपनी क्षमता दिखाने का आह्वान किया है. गौरतलब है कि श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.