Srilanka Crisis: श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को कहा कि हमें सांसदों के लिए ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिससे वे स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त कर सकें. रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि सांसदों को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि हम किसी भी समूह को संसद में लोकतंत्र को नष्ट करने की अनुमति नहीं देंगे.
बताते चलें कि श्रीलंका आर्थिक, राजनीतिक और मानवीय संकट की चपेट में है. कई महीनों से श्रीलंकाई लोगों को भोजन, ईंधन और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति में कमी का सामना करना पड़ा है और कई हफ्तों से स्कूल बंद हैं. अन्य सेवाएं गंभीर रूप से कम क्षमता पर काम कर रही हैं. इधर, राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यों में, रनिल विक्रमसिंघे ने पूरे द्वीप में आपातकाल की घोषणा कर दी. उन्होंने सेना को आदेश दिया कि व्यवस्था बहाल करने के लिए जो भी आवश्यक हो वह करें. पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं और सेना द्वारा गोलियां चलाई जा रही हैं, फिर भी वे उनके आवास और सड़कों पर कब्जा कर रहे हैं.
We must create an environment for MPs so that they can express their opinion independently. They will be provided with full protection. We will not allow any group to destroy the democracy in Parliament: Sri Lanka's Acting President Ranil Wickremesinghe
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— ANI (@ANI) July 15, 2022
रनिल विक्रमसिंघे को प्रदर्शनकारियों द्वारा बहुत तिरस्कृत किया जाता है, जिनमें से कई राजपक्षे परिवार के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों की आलोचना करते हैं. लेकिन, उनका तमिलों के खिलाफ भेदभाव और सैन्यीकरण का भी एक लंबा इतिहास रहा है. विक्रमसिंघे पहली बार 1977 में संसद के लिए चुने गए थे. वह 1993 से 1996 तक प्रधान मंत्री थे और उन्होंने यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के भीतर वरिष्ठ पदों पर कार्य किया. राजपक्षे की तरह, विक्रमसिंघे के भी सेना के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. इसमें इसके वर्तमान प्रमुख, शैवेंद्र सिल्वा शामिल हैं, जिन्हें 2009 में तमिलों के नरसंहार में उनकी भूमिका के कारण अमेरिका में प्रवेश करने से रोक दिया गया था.