इस्लामाबाद : भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान प्रांत में विधानसभा चुनाव कराने का दांव इमरान खान पर अब उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है. इस चुनाव में सरकारी तंत्र का भरपुर दुरुपयोग करने के बाद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ यानी पीटीआई और उसकी सहयोगी मजलिस-ए-वाहदत-ए-मुस्लीमीन को बहुमत नहीं मिल सका. आलम यह कि 24 सदस्यीय विधानसभा में से इन दोनों पार्टियों को केवल 10 सीटें ही मिल पाई हैं.
खबर यह है कि गिलगित-बाल्टिस्तान के विधानसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिलने के बाद इमरान खान की पार्टी पीटीआई अब छह निर्दलीय विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार बनाने की तैयारी में जुट गई है. हालांकि, यह सभी निर्दलीय विधायक पीटीआई के ही बागी हैं. कभी ये सभी उसी के सदस्य हुआ करते थे.
मीडिया की खबरों के अनुसार, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के गिलगित-बाल्टिस्तान के प्रवक्ता शहजाद इल्हामी ने आरोप लगाया है कि इमरान सरकार ने इस क्षेत्र को देश का पांचवा राज्य बनाने का केवल चुनावी वादा किया था. उन्होंने कहा कि इमरान खान की पार्टी के पास देश की संसद में बहुमत नहीं है. ऐसे में, वे संवैधानिक सुधारों को मंजूरी नहीं दिलवा सकते. उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान खान का यह वादा केवल चुनावी दिखावा बनकर रह गया.
विधानसभा बनने के बाद पहली बार हारी सत्तासीन पार्टी
गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा का 2009 में स्थापना होने के बाद से ऐसा पहला मौका है, जब इस्लामाबाद में सत्तासीन पार्टी क्षेत्र के चुनावों में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में नाकामयाब रही है. बीते मंगलवार को जारी आधिकारिक परिणामों के अनुसार, इमरान खान की पार्टी पीटीआई को 10, निर्दलीयों को 6 और पीपीपी को एक सीट पर जीत मिली है. इस क्षेत्र में 15 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसमें विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर धांधली का आरोप लगाया था.
भारत ने विधानसभा चुनाव पर जताया था कड़ा ऐतराज
गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने की पाकिस्तान की योजना का भारत ने शुरू से ही विरोध किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने सितंबर में एक डिजिटल प्रेस ब्रीफिंग में कहा था, ‘सैन्य कब्जे वाले तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान में स्थिति को बदलने के लिए पाकिस्तान द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है और यह शुरू से ही अमान्य है. श्रीवास्तव ने कहा था कि हमारी स्थिति स्पष्ट व सतत है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के तहत आने वाला समस्त क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग रहा है और है तथा आगे भी रहेगा.
Posted By : Vishwat Sen