इस्लामाबाद: पाकिस्तान की संसद को भंग किये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of Pakistan) का फैसला आ गया है. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के सभी जजों ने सर्वसम्मति से कहा कि पाकिस्तान की संसद के डिप्टी स्पीकर की रूलिंग असंवैधानिक थी. समा न्यूज चैनल के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी है. वहीं, जियो न्यूज ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रधामंत्री संविधान से बंधे हैं. इसलिए वह राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली को भंग करने की सलाह नहीं दे सकते. शनिवार को सुबह 10 बजे नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी.
इससे पहले पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि नेशनल असेंबली (एनए) के उपाध्यक्ष कासिम सूरी का तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का विवादित फैसला प्रथमदृष्टया संविधान के अनुच्छेद-95 का उल्लंघन है.
चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस एजाज-उल एहसान, जस्टिस मजहर आलम खान मियांखाइल, जस्टिस मुनीब अख्तर और जस्टिस जमाल खान मंदोखाइल शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि अदालत पर मामले की सुनवाई यथाशीघ्र पूरी करने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है.
चौथे दिन की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बंदियाल ने रेखांकित किया कि प्रथम दृष्टया उपाध्यक्ष के द्वारा सदन में दी गयी व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 95 का उल्लंघन हैं. इससे पहले राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का पक्ष रख रहे बैरिस्टर अली जफर ने अपनी दलीलें पेश कीं. खबर के मुताबिक, बंदियाल ने जफर से पूछा कि अगर सब कुछ संविधान के मुताबिक चल रहा है, तो मुल्क में संवैधानिक संकट कहां है?
A larger bench of the Supreme Court of Pakistan declares the deputy speaker’s ruling unconstitutional in a unanimous judgment. The court sets aside the ruling and the steps taken after it including the dissolution of the National Assembly: Pakistan's Samaa News pic.twitter.com/a4W7mtEPHb
— ANI (@ANI) April 7, 2022
एक बार तो, बंदियाल ने वकील से पूछा कि वह यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि देश में संवैधानिक संकट है या नहीं. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘अगर सब कुछ संविधान के मुताबिक हो रहा है तो संकट कहां है?’ सुनवाई के दौरान मियांखाइल ने जफर से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री जन प्रतिनिधि हैं? तो वकील ने ‘हां’ में जवाब दिया. मियांखाइल ने तब पूछा कि क्या संसद में संविधान का उल्लंघन होने पर प्रधानमंत्री को बचाया जायेगा?
इस पर जफर ने जवाब दिया कि संविधान की रक्षा उसमें बताये गये नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा के लिए हर अनुच्छेद को ध्यान में रखना होगा. बंदियाल ने फिर पूछा कि तब क्या होगा, जब सिर्फ एक सदस्य के साथ नहीं, बल्कि पूरी असेंबली के साथ अन्याय हो.
न्यायमूर्ति मंदोखाइल ने रेखांकित किया भले तीन अप्रैल को उपाध्यक्ष सूरी ने प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने की व्यवस्था दी, लेकिन उस पर हस्ताक्षर अध्यक्ष असर कैसर के हैं. ‘डॉन’ अखबार के मुताबिक, उन्होंने यह टिप्पणी सूरी और कैसर के वकील नईम बुखाई द्वारा मामले में उपाध्यक्ष के फैसले की वैधता को लेकर दिये गये तर्क के दौरान की.
नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था. कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था. बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों को बार-बार याद दिलाया कि पीठ जल्द आदेश जारी करे इसके लिए वे जल्द से जल्द अपनी दलीलें पूरी करें.
अदालती निर्णय न केवल अविश्वास प्रस्ताव के भाग्य का फैसला करेगा, बल्कि नेशनल असेंबली को भंग किये जाने और आगामी चुनावों का भी फैसला करेगा. विशेषज्ञों ने कहा कि फैसला अगर खान के अनुकूल होता है, तो 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे, और अगर अदालत उपाध्यक्ष के खिलाफ फैसला सुनाती है, तो संसद का सत्र फिर से बुलाया जायेगा और खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आयेगा.
पाकिस्तान की एआरवाई न्यूज में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी लीगल टीम के साथ अहम बैठक की. इमरान खान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा उसे उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) स्वीकार करेगी.
Posted By: Mithilesh Jha