ताइवान के राष्ट्रीय दिवस को भारतीय मीडिया का कवरेज मिल रहा है. बता दें कि ताइवान ने इसे लेकर भारतीय मीडिया आउटलेट्स में विज्ञापन दिया था. पर यह चीन का नागवार गुजरी और चीनी दूतावास ने पत्रकारों को वन चाइना सिद्धांत का पालन करने की सलाह दी. इस लेकर ताइवान ने चीन पर हमला बोला है. ताइवान का आरोप है कि चीन भारतीय मीडिया को सेंसर करने का प्रयास कर रहा है.
बता दें कि ताइवान के सरकार ने प्रमुख भारतीय सामाचार पत्रों में खुद को लोकतांत्रिक देश बताते हुए विज्ञापन दिया था. जबकि चीन ताइवान पर अपना दावा करता आया है. विज्ञापन में ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन की तस्वीर छपी थी. जबकि चीन इसके विरोध में कहा था कि ताइवान के नेता को राष्ट्रपति नहीं बनायें. ताइवान चीन का हिस्सा है.
ताइवान पर अपना दावा करते हुए चीनी दूतावास ने पत्रकारों को ई मेल भेजकर अपनी नाराजगी जाहिर कि है. चीन ने लिखा था कि ताइवान के तथाकथित आगामी राष्ट्रीय दिवस ‘के बारे में, भारत में चीनी दूतावास हमारे मीडिया मित्रों को याद दिलाना चाहता है कि दुनिया में केवल एक चीन है, और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना एकमात्र वैध सरकार है जो पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करता है.
साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि भारतीय मीडिया ताइवान के सवाल पर भारत सरकार के स्टैंड का पालन करेगा और वन चाइना सिंद्धात का उल्लंघन नहीं करेगा. विशेष रूप से, ताइवान को एक ‘देश (राष्ट्र)’ या ‘चीन गणराज्य’ या ‘ताइवान’ के रूप में चीन के ताइवान क्षेत्र के नेता के रूप में संदर्भित नहीं किया जाएगा, ताकि आम जनता के बीच गलत संदेश नहीं जाये.
इसके बाद ताइवान ने चीन के इस कदम पर कड़ी आपत्ति दर्ज ही है. ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने भारतीय मीडिया को बीजिंग की सलाह पर विरोध दर्ज करते हुए ट्वीट किया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और यहां पर मीडिया को पूरी आजादी है. पर ऐसा लग रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी यहां भी सेंसरशिप लगाना चाहती है. पर ताइवान भारतीय दोस्त इसके लिए चीन को एक ही जवाब देंगे, “गेट लोस्ट”.
बता दें कि नई दिल्ली का ताइपे के साथ कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच घनिष्ठ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध हैं. जबकि यह विवाद ऐसे समय में आया है जब सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध नहीं चल रहे हैं.
दो एशियाई दिग्गजों के बीच विवादित हिमालयी सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच घातक संघर्ष के कुछ ही महीने बाद, यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब चीन के प्रति भारतीय भावनाएं शत्रुता और संदेह से भरी हैं।
Posted By: Pawan Singh