अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद शांति का दावा करने वाले तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है. तालिबानी लड़ाके जहां कई इलाकों में हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, वहीं उन्होंने अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नर सलीमा मजारी को पकड़ लिया है. सलीमा मजारी वहीं महिला हैं, जिन्होंने तालिबान के खिलाफ आवाज उठायी थी.
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के विरोध में सलीमा मजारी ने हथियार भी उठाया था और डटकर उनका मुकाबला किया था. सलीमा अंतिम वक्त तक तालिबानियों से लोहा लेते रहीं, लेकिन अंत में तालिबान लड़ाकों ने उन्हें बंधक बना लिया. जब तालिबान के बढ़ते कब्जे को देखते हुए अधिकांश नेता देश छोड़कर भाग रहे थे, तब भी सलीमा ने लड़ाई जारी रखी.
न्यूज 18 की खबर के मुताबिक सलीमा ने खुद अपनी सेना बनायी थी और तालिबान के साथ खुली लड़ाई लड़ी. इसमें उनको अमेरिका का साथ भी मिला. महिला गर्वनर लगातार अपनी सेना का विस्तार भी कर रही थीं, इस वजह से वह तालिबानियों के निशाने पर थी. ऐसा भी कहा जा रहा है कि पकड़े जाने तक सलीमा ने बंदूक उठाकर तालिबान से लड़ाई लड़ी.
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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उनकी सेना में शामिल लोग उनकी मदद के लिए जमीन और मवेशी बेचकर हथियार खरीद रहे थे. सलीमा खुद आगे की सीट पर बैठकर लोगों से मिलने जाती थीं और लोगों से अपनी सेना में शामिल होने की अपील करती थीं. सलीमा का जन्म एक रिफ्यूजी के तौर पर 1980 में हुआ था. उनके माता-पिता सोवियत युद्ध के बाद ईरान से भागकर आये थे.
सलीमा का ग्रेजुएशन तेहरान विश्वविद्यालय से हुआ. ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने अफगानिस्तान लौटने का फैसला किया और 2018 में वे चारकिंत जिले की गवर्नर बनीं. चारकिंत जिला उनकी मातृभूमि थी और यहां उनकी पुश्तैनी जमीन भी थी. कल ही तालिबान की ओर से पहला बयान जारी कर कहा गया कि महिलाओं को उनका अधिकार मिलेगा और हम किसी से भी बदला नहीं लेंगे.
Posted By: Amlesh Nandan.