अफगानिस्तान का सरकारी खजाना हड़पने का तालिबान का सपना हुआ चूर, बंद हैं सारे दरवाजे

दी अफगानिस्तान बैंक के गवर्नर अजमल अहमदी काबुल छोड़ चुके थे. उन्होंने दावा किया कि तालिबान बैंक के कर्मचारियों से खजाने के बारे में पूछताछ कर रहा है, लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लगेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2021 2:00 PM

15 अगस्त को फिर से एक बार तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. काबुल में राष्ट्रपति भवन में कब्जे के साथ ही पूरे देश में तालिबान का शासन शुरू हो गया. यह करीब 20 साल बाद हुआ. जो बाइडेन प्रशासन के फैसले के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से लौटते ही तालिबान ने तेजी से काबुल में अपना झंडा लहरा दिया. कब्जे के साथ ही तालिबान के हाथ एक पूरी सेना लग गयी.

अमेरिका के सहयोग से बनाया गया अफगान एयरफोर्स पूरी तरह तालिबान के कब्जे में है. अब तालिबान अफगानिस्तान का सरकार खजाना हड़पने की तैयारी कर रहा है. समाचार चैनल आज तक के एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्ताह तक दी अफगानिस्तान बैंक के पास करीब 10 अगर डॉलर की संपत्ति थी. इनमें से अधिकतर राशि दूसरे देशों के बैंक में सुरक्षित हैं.

तालिबान के पूरे देश पर कब्जे से पहले ही दी अफगानिस्तान बैंक के गवर्नर अजमल अहमदी काबुल छोड़ चुके थे. उन्होंने दावा किया कि तालिबान बैंक के कर्मचारियों से खजाने के बारे में पूछताछ कर रहा है, लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लगेगा. अहमदी ने देश के खजाने के बारे में कई ट्वीट किये हैं. उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते बैंक के पास करीब 9 अरब डॉलर संपत्ति थी. इसका मतलग यह नहीं कि ये पैसे बैंक की तिजारी में रखे हुए हैं.

Also Read: इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ट्रेंड ‘शेरू’ आज तालिबान के टॉप 7 शासकों में से एक, जानें क्या कहते हैं बैचमेट

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अधिकांश पैसे संपत्तियों के रूप में कोषागारों में रखे जाते हैं, जैसे सोने के तौर पर. उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि स्थानीय बैंकों ने ग्राहकों से कहा है कि वे अपने डॉलर वापस नहीं कर सकते क्योंकि डीएबी ने बैंकों को डॉलर की आपूर्ति नहीं की है. यह सच है. इसलिए नहीं कि धन चोरी हो गया है या तिजोरी में रखा गया है.

उन्होंने कहा कि सभी डॉलर अंतरराष्ट्रीय खातों में हैं जिन्हें फ्रीज कर दिया गया है. तालिबान को ध्यान देना चाहिए कि यह किसी भी तरह से डीएबी या उसके पेशेवर कर्मचारियों का निर्णय नहीं था. यह OFAC द्वारा लागू की गयी अमेरिकी प्रतिबंध नीति का प्रत्यक्ष परिणाम है. तालिबान और उनके समर्थकों को इस नतीजे की पहले से ही कल्पना कर लेनी चाहिए थी. तालिबान सैन्य रूप से जीत तो गया है, लेकिन अब शासन करना है तो ये सबकुछ आसान नहीं है.

Posted By: Amlesh Nandan.

Next Article

Exit mobile version