अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने एक फरमान जारी किया है जिसमें उसने महिलाओं के घरेलू और विदेशी एनजीओ में काम करने पर बैन लगा दिया है. यही नहीं सभी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से महिला कर्मचारियों को भर्ती नहीं करने का आदेश दिया है. यह आदेश वित्त मंत्री कारी दीन मोहम्मद हनीफ के एक पत्र में आया है. पत्र की बात करें तो इसमें कहा गया है कि यदि कोई एनजीओ आदेश का पालन नहीं करता है तो अफगानिस्तान में उसका लाइसेंस रद्द करने का काम किया जाएगा. इस आदेश की पुष्टि मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल रहमान हबीब ने की है.
इससे पहले अफगानिस्तान के विश्वविद्यालयों में महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान सरकार ने फरमान जारी किया जिसका जमकर विरोध हो रहा है. मानवाधिकार समूहों व कार्यकर्ताओं ने इस फरमान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है. इस खबर के प्रकाश में आने के बाद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन सहित कई देशों ने निंदा की. तालिबान के इस फैसले का कई इस्लामिक देशों ने भी विरोध किया है. यदि आपको याद हो तो तालिबान ने मार्च में लड़कियों को माध्यमिक विद्यालयों में जाने से रोकने का फरमान जारी किया था जिसका भारी विरोध हुआ था.
-कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली महिलाएं नियम का पालन नहीं कर रहीं हैं. वो पॉपर ड्रेस कोड पहनकर नहीं आ रहीं हैं. उनके पहनावे को देखकर लगता है कि वे किसी शादी में जा रहीं हैं.
-विश्वविद्यालयों से निकलने के बाद महिलाएं हिजाब भी नहीं पहन रहीं हैं.
-विश्वविद्यालयों में पुरूष और महिलाएं फ्री होकर पढ़ाई कर रहे हैं.
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-विश्वविद्यालयों में कुछ विषय हैं जो इस्लाम के खिलाफ हैं. साइंस के कुछ सबजेक्ट हैं जो महिलाओं के लिए सुटेबल नहीं हैं. तालिबान का इशारा बायोलॉजी के सब्जेक्ट से है.
-इंजिनियरिंग, एग्रीकल्चर और कुछ दूसरे सब्जेक्ट जो हैं वो अफगान के कल्चर के खिलाफ हैं जिसे महिलाओं को पढ़ने से बचना चाहिए.