दक्षिण एशिया में बढ़ेगा आतंक का खौफ ! जैश-अलकायदा और तालिबान ने बनाया गठजोड़

आतंकी संगठन तालिबान ने अफगान सहित दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए अलकायदा और जैश-ए-मोहम्मद से हाथ मिलाया है. बताया जा रहा है कि इसी के साथ अब तीनों आंतकी संगठन एक साथ मिलकर अपना दायरा बढ़ाएगा. तीनों के आतंकी गठजोड़ से अफगानिस्तान और भारतीय सुरक्षा एजेंसी सतर्क हो गयी है और आगे की रणनीति पर काम शुरू कर दी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2020 10:46 AM
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काबुल : आतंकी संगठन तालिबान ने अफगान सहित दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए अलकायदा और जैश-ए-मोहम्मद से हाथ मिलाया है. बताया जा रहा है कि इसी के साथ अब तीनों आंतकी संगठन एक साथ मिलकर अपना दायरा बढ़ाएगा. तीनों के आतंकी गठजोड़ से अफगानिस्तान और भारतीय सुरक्षा एजेंसी सतर्क हो गयी है और आगे की रणनीति पर काम शुरू कर दी है.

अफगान समाचार एजेंसी टोलो न्यूज के अनुसार अमेरिकी तालिबान समझौते के बाद तालिबान अपना वर्चस्व क्षेत्र बढ़ाने में लगा है, जिसके कारण उसने दोनों आतंकी गुटों से हाथ मिलाया है. हालांकि दोनों गुटों के बीच गठजोड़ को लेकर क्या बातें हुई है, इसपर अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है. अफगान के अधिकारियों ने बताया कि ये तीनों का गठजोड़ पूर्वी इलाकों में हुआ है.

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भारत पर खतरा बढ़ा- तीनों के गठजोड़ का असर अफगानिस्तान और भारत पर सबसे ज्यादा पड़ने वाला है. तालिबान और अलकायदा जहां अफगान के क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां बढ़ायेगा. वहीं जैश पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान में अपना प्रयास शुरू कर सकता है.

इससे पहले, खबर आयी थी कि इस्लामिक स्टेट( ISIS) के टॉप कमांडर में से एक जिया उल हक उर्फ अबु उमर खोरासानी को अफगानिस्तान में गिरफ्तार किया गया है. वह दक्षिण एशियाई इकाई का सरगना है. खोरासानी के साथ इस्लामिक स्टेट (आईएस) को दो आतंकियों को भी दबोचा गया है. आईएस पिछले महीने काबुल में गुरुद्वारा पर हुए हमले में शामिल रहा है.

क्या है पूरा मामला- तालिबान अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार किये हुए हैं. अमेरिका से समझौता के बाद तालिबान अपना दायरा बढ़ाना चाहता है. इसी क्रम में तालिबान अलग-अलग आतंकी समूहों से हाथ मिलाकर अपने मंसूबों को पूरा करने में लगा है. बता दें कि इसी साल दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ था.

इस समझौते के तहत अमेरिका अगले 14 महीनों में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी पूरी कर लेगा और शुरुआती चरण में अगले चार महीनों के अंदर सैनिकों की संख्या वहां 13,000 से घटाकर 8,600 कर दी जायेगी.

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