शेख हसीना सरकार को अस्थिर करने के लिए तालिबान या पाकिस्तान ने रची दुर्गा पूजा पंडालों पर हमले की साजिश?
Communal Violence in Bangladesh: यह लोकतंत्र और उस सांप्रदायिक सौहार्द्र को अस्थिर करने की भी कोशिश है, जिसे हसीना सरकार लेकर आयी है.
कोलकाता: बांग्लादेश (Bangladesh) में दुर्गा पूजा (Durga Puja) पंडालों पर हमले शेख हसीना (Sheikh Hasina) सरकार को अस्थिर करने की साजिश हो सकती है. भारत के विश्लेषकों ने यह आशंका जतायी है. साथ ही उन्होंने बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा (Durga Puja Violence in Bangladesh) पर चिंता जतायी है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गयी थी.
बांग्लादेश की सरकार ने कोमिला जिला के कुछ कस्बों में शुरू हुए हमलों से निपटने के लिए तेजी से कार्रवाई की, लेकिन रणनीतिक विश्लेषक और पूर्व भारतीय राजदूत पिनाक आर चक्रवर्ती का मानना है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन की स्थापना से उत्साहित इस्लामवादियों के नये सिरे से सिर उठाने को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है.
बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त रह चुके पिनाक चक्रवर्ती ने कहा, ‘यह चिंताजनक घटनाक्रम है और इसे सावधानी से संभालने की जरूरत है. यह लोकतंत्र और उस सांप्रदायिक सौहार्द्र को अस्थिर करने की भी कोशिश है, जिसे हसीना सरकार लेकर आयी है.’ उन्होंने कहा, ‘यह पाकिस्तान समर्थित चरमपंथी संगठनों की साजिश प्रतीत होती है. बांग्लादेश सरकार को इन तत्वों का सफाया करना चाहिए.’
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हिंदू नेताओं के साथ बैठक में पहले ही हमले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा कर चुकी हैं. मामले में कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने संकेत दिया है कि पूजा की झांकी में कुरान का प्राप्त होना, जिससे हिंसा फैली, साजिश के तहत उपद्रवियों द्वारा स्थापित की गयी थी.
भारत के दुश्मनों ने बांग्लादेश में रची हिंसा की साजिश- शांतनु
पूर्व आईपीएस अधिकारी और मॉरीशस में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके शांतनु मुखर्जी ने कहा, ‘हमारे पास यह विश्वास करने के कारण मौजूद हैं कि यह बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसे भारत और बांग्लादेश से शत्रुता रखने वाले तत्वों ने रचा. अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद इस्लामिक शक्तियां उत्साहित प्रतीत हो रही हैं.’
गौरतलब है कि है बांग्लादेश ने पूर्व में जमात-उल-मुजाहिदीन बंगलादेश सहित चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की थी और इनके नेताओं व कार्यकर्ताओं को या तो गिरफ्तार किया था या मुठभेड़ में मार गिराया था. तालिबान ने वर्ष 1990 में बड़े पैमाने पर अपने लड़ाकों की भर्ती बांग्लादेश से की थी.
बांग्लादेश की सरकार ने हाल के वर्षों में बांग्लदेश जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं, जो वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराध के दोषी थे, उन्हें फांसी की सजा दी है. राजदूत पिनाक चक्रवर्ती ने कहा, ‘युद्ध अपराध प्राधिकरण की सजा से उनका (इस्लामवादियों) का बदला लेने का तरीका है, जिससे उनकी सरकार के भारत से संबंध अस्थिर हो सकते हैं.’
शेख हसीना सरकार का सहयोग करे भारत- सर्वजीत चक्रवर्ती
कई विश्लेषकों का मानना है कि तालिबान की जीत से उत्साहित ये तत्व फिर से शेख हसीना सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर सकते हैं. रिसर्च सेंटर फॉर ईस्टर्न एंड नॉर्थ ईस्टर्न स्टडीज नामक थिंक टैंक के सदस्य राजदूत सर्वजीत चक्रवर्ती ने कहा, ‘हमारी चिंता भविष्य को लेकर है. हालांकि, आतंकवादी समूहों से निपटने में शेख हसीना बहुत प्रभावी हैं, हमारे पास भविष्य में लोगों को चरमपंथ से वापस लाने के लिए कार्यक्रम होना चाहिए और यह भी देखना चाहते हैं कि हम समान दुश्मन से निपटने में बांग्लादेश सरकार से सहयोग करें.’
विवेकानंद इंटरनेशल फाउंडेशन में साउथ एशिया नेबरहुड स्टडीज सेंटर के प्रमुख और कोलकाता स्थित मौलाना अबुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज के पूर्व निदेशक श्रीराधा दत्ता ने कहा, ‘सतर्क रहने की जरूरत है और यह ध्यान रखने की जरूरत है कि दोनों देशों की घटनाएं स्वतंत्र हैं.’
शेख हसीना ने भारत को दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि पूर्व में कई बार हसीना का तख्तापलट करने और उनकी हत्या करने की कोशिश हो चुकी है. उन्होंने बृहस्पतिवार को भी अपने बयान में चेतावनी दी कि भारत को सतर्क रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि पड़ोस में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए, जिसका असर बांग्लादेश पर पड़े, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इसका अभिप्राय क्या है.
एजेंसी इनपुट के साथ
Posted By: Mithilesh Jha