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अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन की घोषणा जल्द करेगा तालिबान, जबीहुल्ला मुजाहिद ने दी जानकारी

New Government Formation in Afghanistan अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद रविवार को तालिबान (Taliban) की ओर से अफगान (Afghan) में नई सरकार के गठन को बड़ी बात कही गई है. तालिबान ने आज कहा है कि वह जल्द ही अफगानिस्तान में एक नई सरकार के गठन (Formation Of New Government in Afghanistan) की घोषणा करेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2021 10:43 PM

New Government Formation in Afghanistan अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद रविवार को तालिबान (Taliban) की ओर से अफगान (Afghan) में नई सरकार के गठन को बड़ी बात कही गई है. तालिबान ने आज कहा है कि वह जल्द ही अफगानिस्तान में एक नई सरकार के गठन (Formation Of New Government in Afghanistan) की घोषणा करेगा.

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में टोलो न्यूज की हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अफगान राजनीतिक नेताओं के साथ एक नई सरकार के गठन पर बातचीत चल रही है और निकट भविष्य में एक नई सरकार की घोषणा की जाएगी. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हमारे राजनीतिक अधिकारियों ने यहां काबुल में नेताओं से मुलाकात की है और उनके विचार अहम हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही सरकार की घोषणा कर दी जाएगी.

इससे पहले, तालिबान के सह-संस्थापक और उप नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर शनिवार को काबुल पहुंचे. अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने वाले समूह के एक नेता ने बताया कि अब्दुल गनी बरादर यहां इसलिए पहुंचे है, ताकि नई सरकार के गठन के लिए अफगान राजनीतिक नेताओं के साथ औपचारिक चर्चा शुरू हो सके. बताया जा रहा है कि तालिबान ने शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद (एचसीएनआर) के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला सहित कई राजनेताओं से मुलाकात की है. टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान जो चर्चा हुई, वह एक समावेशी सरकार के गठन सहित समग्र राजनीतिक स्थिति पर केंद्रित थी.

अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक फेसबुक पोस्ट में तालिबान नेताओं के साथ बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि चर्चा राजनीतिक प्रक्रिया और समावेशी सरकार के गठन पर केंद्रित थी. वहीं, टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ अफगान राजनीतिक नेताओं ने बातचीत के तरीके की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया समावेशी होनी चाहिए. उधर, नहजत-ए-हंबस्तगी अफगानिस्तान के प्रमुख सैयद इशाक गिलानी ने कहा है कि मैं इस खेल को अच्छे के रूप में नहीं देखता, क्योंकि यह व्यक्तियों के खेल की तरह दिखता है. हर कोई खुद को बढ़ावा देने की कोशिश करता है और अफगानों के लिए सम्मान नहीं दिखाता है.

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच बल्ख के पूर्व गवर्नर अट्टा मोहम्मद नूर ने कहा कि अगर यह समावेशी नहीं है, तो अगली सरकार को स्वीकार नहीं किया जाएगा. नूर ने कहा कि युद्ध समाप्त नहीं हुआ है. हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है और हम तालिबान का परीक्षण करेंगे. हम फिर से उभरेंगे. दरअसल, अफगानिस्तान में सामने आ रही स्थिति को पूरी दुनिया करीब से देख रही है.

उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान दशकों से अपने सबसे खराब संकट का सामना कर रहा है, क्योंकि तालिबान के नियंत्रण ने लोगों को उनके अत्याचारों के डर से देश से भागने के लिए मजबूर किया है. तालिबान से बचने के लिए अफगानी काबुल हवाईअड्डे पर जमा हो गए हैं. काबुल की सड़कों पर आतंकवादी कथित तौर पर बल प्रयोग कर लोगों को हवाईअड्डे में प्रवेश करने से रोक रहे हैं. ऐसे में तालिबान के नियंत्रण वाले हवाईअड्डे और उसकी परिधि के आसपास उसकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. 1996 में जब तालिबान ने सत्ता हासिल की, तो उन्होंने बर्बर कृत्य, हिंसा, मानवाधिकारों का उल्लंघन और महिलाओं का दमन करना शुरू कर दिया और शरिया कानूनों के नाम पर इस क्षेत्र में एक आतंकवादी समूह की तरह काम किया. उन्हें केवल पाकिस्तान, यूएई और सऊदी अरब ने मान्यता दी थी.

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