तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अब्दुल कहर बल्खी (Abdul Qahar Balkhi) ने ट्वीट किया, ”काबुल में अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात अपने राजनयिक प्रतिनिधित्व को उन्नत करने के लिए भारत के कदम का स्वागत करता है. सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा, हम राजनयिकों की प्रतिरक्षा पर पूरा ध्यान देंगे और (इनके) प्रयासों में अच्छा सहयोग करेंगे. उन्होंने कहा, पूर्व राजदूत और उनकी टीम के 15 अगस्त 2021 को तालिबान के हाथों काबुल गिरने के बाद रातों-रात शहर से चले जाने के बाद पूरे एक साल बाद भारत के मिशन को आगे बढ़ाना न केवल एक अच्छा कदम है, बल्कि यह कुछ समय के लिए अतिदेय भी है.
हाल ही में काबुल शहर में भारतीय दूतावास खुला है. इस केंद्र को डायरेक्टर रैंक IFS अधिकारी की ओर से संचालित किया जाता है, जो मिशन के कार्यवाहक उप प्रमुख और चार अन्य अधिकारी होते हैं. अफगानिस्तान में दूतावास की सुरक्षा के लिए ITBP की एक टुकड़ी भी भेजी गई है. बता दें कि साल 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर हमला किया था, तो भारत वहां से चला गया था. हालांकि अब भारत की ओर से कहना है कि इस मिशन की फिर से शुरू करने का मकसद कोई नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि अफगान लोगों को मेडिकल सहायता और वैक्सीन की क्षेत्र में मदद करना है.
तालिबान सरकार भारत से दोस्ती करना चाहता है, ये बात तो सभी जानते हैं. हालांकि भारत ने भी यह क्लियर कर दिया है कि वह अफगानिस्तान के साथ अपना रिश्ता मजबूत करना चाहता है. तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने अफगानिस्तान में राजनयिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए भारत की सराहना की है. उन्होंने काबुल में शाहतूत बांध की परियोजनाओं को पूरा करने की उम्मीद है. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह सब बर्बाद हो जाएगा.उन्होंने भारत से उन्हें पूरा करने का आग्रह किया है.