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अचानक नहीं हुई थी झड़प, भारतीय सैनिकों पर अटैक का बीजिंग ने दिया था ऑर्डर : अमेरिका

वास्वितविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत व चीन की सेना के बीच हुई झड़प अचानक नहीं हुई थी, बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश थी. इसका खुलासा अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने किया है

दिल्ली : वास्वितविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत व चीन की सेना के बीच हुई झड़प अचानक नहीं हुई थी, बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश थी. इसका खुलासा अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने किया है. यूएस न्यूज में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, गलवान से भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए इंडियन आर्मी पर अटैक का आदेश बीजिंग से जारी हुआ था. अमेरिकी इंटेलिजेंस की इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने बाकायदा लद्दाख के उस हिस्से पर कब्ज़ा करने के लिए चीनी आर्मी के वेस्ट थियेटर कमांड के प्रमुख जनरल झाओ झोंग्की को जिम्मेदारी सौंपी थी.

प्लान के मुताबिक, काफी हथियार जमा किये गये और अपनी सेना के रहने के लिए एक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया. झाओ झोंग्की के कहने पर ही चीनी सेना ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था. पहले से ही हथियारों के साथ घात लगाकर बैठी थी चीनी सेना रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने सोचा था कि उसे गलवान वैली में कब्जा जमाने के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ेगा, लेकिन उसका यह अंदाजा गलत निकला. रिपोर्ट में माना गया है कि 15 जून को जब भारत के कुछ अफसर और जवान चीन से बात करने पहुंचे थे, तो चीनी सैनिक पहले से ही हथियारों के साथ घात लगाकर बैठे थे. उनका प्लान भारतीय सेना को उकसाना था. इसमें वे सफल भी रहे.

हालांकि, पास ही भारतीय जवानों की एक और टुकड़ी गश्त पर थी. वे बचाव के लिए आ गयी और ये एकतरफा झड़प एक हिंसक संघर्ष में तब्दील हो गयी. रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल झाओ झोंग्की इससे पहले वियतनाम की लड़ाई और फिर साल 2017 में हुए डोकलाम विवाद में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं.प्लान फेल होने पर चली चाल, झड़प के लिए भारत को बताया जिम्मेदाररिपोर्ट के अनुसार एक प्लान के तहत ही चीनी विदेश मंत्रालय ने इस पूरी झड़प के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार बता दिया. विदेश मंत्रालय लगातार यही कह रहा है कि भारतीय सेना ने सीमा पार की और चीनी सैनिकों पर हमला किया और चीनी सेना से अपनी सुरक्षा के लिए हिंसा का प्रयोग किया था.

अमेरिका ने सपष्ट कर दिया है कि उसका पूरा समर्थन भारत के साथ है, इस मामले पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन को कड़ा संदेश भी दिया है. मारे गये सैनिकों के लिए चोरी-छिपे प्रार्थना सभा कर रहा चीन अमेरिकी खुफिया एजेंसी का दावा है कि चीन अपने मारे गये सैनिकों की याद में खुफिया तरीके से प्रार्थना सभा का आयोजन करने के लिए मजबूर है. रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन नहीं चाहता कि भारत के साथ संघर्ष में मारे गये सैनिकों की संख्या लोगों के सामने आये. इसी के चलते चीनी सेना ने अपने मारे गये सैनिकों के लिए छुपकर एक मेमोरियल सर्विस रखी.

यह प्रार्थना सभा न केवल गुप्त रही बल्कि इससे जुड़ी सभी वीडियो-फोटो सोशल मीडिया से हटा दिये गये. इस रिपोर्ट में चीन पर आरोप लगाया गया है कि वह भारत-अमेरिका की नजदीकी से काफी परेशान है. चीन चाहता है कि भारत उसके आसपास के देशों के साथ ही उलझकर रह जाये, ताकि अमेरिका से दूरी बनी रहे.

यूएस सीक्रेट सर्विस का दावा, भारतीय सेना ने बिगाड़ा चीन का प्लान, मारे गये सैनिकों के लिए छिपकर आंसू बहा रहा चीनअपना वर्चस्व स्थापित करने की राह में भारत को अड़चन मानता है चीन, चारों तरफ से कर रहा परेशानपिछले हफ्ते 15 जून को चीन ने भारतीय सैनिकों पर जिस तरह से आक्रमण किया, वह एक सुनियोजित साजिश थी. ऐसा इसलिए है कि विश्व की महाशक्ति बनने की इच्छा रखनेवाला चीन इस क्षेत्र में भारत को अपने लिए अड़चन मानता है. साथ ही भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक और सामरिक रिश्ते के कारण भी वह परेशान है.

ऐसे में भारत को परेशान करने के लिए उसने भारत को चारों तरफ से घेरने की योजना बनायी है. इसके तहत वह नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में अपनी पैठ बढ़ा रहा है और अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. 1. बांग्लादेश को व्यापार में छूट, 97% उत्पादों से हटाया टैक्सचीन ने बांग्लादेश को साधने के लिए उसे व्यापार में बड़ी छूट दी है. चीन ने बांग्लादेश के 97 फीसदी उत्पादों पर से टैक्स हटाने की घोषणा की है. चीन के इस बड़े एलान से बांग्लादेश के राजनयिक गदगद है. इसके एवज में चीन ने बांग्लादेश से उसके समुद्री सीमा के इस्तेमाल का अधिकार प्राप्त किया है.

2. ग्वादर पोर्ट डील के जरिये पहुंचा भारतीय सीमा के नजदीकग्वादर पोर्ट पाकिस्तान के हिंसाग्रस्त क्षेत्र बलूचिस्तान का हिस्सा है. 2013 में चीन और पाकिस्तान के बीच यहां बंदरगाह यानी पोर्ट बनाने का समझौता हुआ. ग्वादर पोर्ट पर करीब 25 करोड़ डॉलर खर्च होंगे. इसका 75% हिस्सा चीन देगा. ग्वादर से भारत की दूरी 460 किमी है. इससे कुछ दूरी पर ईरान की समुद्री सीमा है. 3. 99 साल के लिए श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह हथिया लिया श्रीलंका ने चीन के साथ एक समझौते के तहत देश के दक्षिणी हिस्से में मौजूद हंबनटोटा बंदरगाह के नियंत्रण और विकास के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

इस बंदरगाह से चीन अब व्यवसायिक काम कर सकेगा. जानकारों का कहना है कि यहां से व्यापार कम और चीनी सेना भारत के खिलाफ इसका इस्तेमाल ज्यादा कर सकेगी. 4. नेपाल ने स्वीकारा, चीन हड़प रहा जमीन, बना रहा सैन्य पोस्टचीन की शह पर उछल रहे नेपाल ने स्वीकार किया है कि ड्रैगन उसकी जमीन को कब्जाने में जुटा है, लेकिन प्रधानमंत्री केपी ओली इस पर आंखें मूदे हुए हैं. नेपाल के कृषि मंत्रालय ने एक डॉक्युमेंट में कहा है कि चीन ने नेपाल की भूमि कब्जा करके अपनी सीमा को बढ़ा लिया है. जहां वह आने वाले समय में सशस्त्र बलों के लिए पोस्ट बनाना चाहता है.

एलएसी पर गतिरोध का मुख्य कारण सरकार का कुप्रबंधन : सोनिया नयी दिल्ली. कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई सीडब्ल्यूसी ने मंगलवार को लद्दाख में एलएसी पर चल रहे गतिरोध समेत कई मुद्दों पर चर्चा की. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि चीन के साथ सीमा पर संकट तथा कोरोना महामारी एवं अर्थव्यवस्था से जुड़े संकट का मुख्य कारण नरेंद्र मोदी सरकार का कुप्रबंधन एवं उसके द्वारा अपनायी गयी नीतियां हैं. सीडब्ल्यूसी की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एलएसी पर गतिरोध को लेकर सोनिया का समर्थन करते हुए कहा कि सीमा पर जो संकट है, उससे अगर मजबूती से नहीं निब गया, तो गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं.

उत्तर प्रदेश ने चीन में बने बिजली के मीटर लगाने पर लगायी रोक लखनऊ. गलवान घाटी घटना के बाद चीन निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार के मुखर होते स्वरों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में चीनी में बने बिजली के मीटर लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऊर्जा विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में अब चीन बने बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी गयी है. उन्होंने बताया कि बिजली विभाग से इसका विवरण मांगा गया है कि पिछले एक साल में चीन में बने मीटर और अन्य उपकरणों का ऑर्डर कहां-कहां दिया गया है और किन-किन चीनी कंपनियों को काम की निविदा दी गयी है.

Post by : Pritish Sahay

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