16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या चीन में एक बार फिर थियानमेन चौक की घटना दोहराई जायेगी, आखिर क्यों मारे गये थे 10 हजार से अधिक लोग?

आम लोग ना सिर्फ सड़क पर उतर गये हैं, बल्कि वे सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना एवं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ सड़कों पर नारेबाजी भी कर रहे हैं.

कोविड 19 की मार झेल चुके चीन में एक बार फिर इस बीमारी ने अपना सिर उठाया है और चीन की सरकार ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए कड़े प्रतिबंध लागू कर दिये हैं. लेकिन जो बात लीक से हटकर वहां दिख रही है वो है इन प्रतिबंधों के खिलाफ चीन के आमलोगों का प्रदर्शन. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या आम लोगों का गुस्सा सिर्फ कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ है या फिर वे इस सरकार की तानाशाही से परेशान हैं?

जो जानकारी विभिन्न स्रोतों से सामने आयी है उसके अनुसार चीन में इन प्रतिबंधों के खिलाफ आम लोग ना सिर्फ सड़क पर उतर गये हैं, बल्कि वे सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ चाइना एवं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ सड़कों पर नारेबाजी भी कर रहे हैं. अबतक देश के कई शहरों में प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, जिसमें बीजिंग, शंघाई जैसे शहर शामिल हैं. वहीं मुस्लिम शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में भी उग्र प्रदर्शन की खबर सामने आयी है.

सोशल मीडिया में भी कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध का वीडियो और तस्वीर वायरल हो रहा है. उरुमकी में बृहस्पतिवार को लॉकडाउन के दौरान एक अपार्टमेंट में आग लग जाने से 10 लोगों की मौत हो गयी थी. बताया जा रहा है कि यह मौत सिर्फ प्रतिबंधों की वजह से हुई. इन मौतों के बाद वहां व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए और सरकार विरोधी नारे लगाये गये. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पीटा और पीपर स्प्रे का प्रयोग उनपर किया. गौरतलब है कि चीन में कोरोना के केस तेजी से एक बार फिर बढ़ रहे हैं. साथ ही बढ़ रहा लोगों का गुस्सा जो कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ है.

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन एक बार फिर 1989 की ओर बढ़ रहा है. चीन में सरकार विरोधी प्रदर्शन आम बात नहीं है. 1989 में चीन के थियानमेन चौक पर लोकतंत्र समर्थक युवकों पर चीनी सेना ने गोली चला दी थी इस घटना में 10 हजार से ज्यादा लोकतंत्र समर्थकों की हत्या कर दी गयी थी. यह घटना चीन के इतिहास में एक कलंक के समान है. यह घटना तब सामने आयी थी जब चीन में उस वक्त के ब्रिटिश राजदूत एलन डोनाल्ड ने इसकी जानकारी लंदन को टेलीग्राम के जरिये दी थी. इस घटना के दस्तावेज ब्रिटेन ने भी 28 वर्ष बाद सार्वजनिक किया था.

थियानमेन चौक की घटना चीन के इतिहास में दर्ज है. यह घटना उदाहरण है इस बात का कि वहां सरकार विरोधी प्रदर्शन को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. चीन एक समाजवादी गणराज्य है, जहां हमेशा से एक ही पार्टी की सरकार रही है. ऐसे में वहां पूर्ण लोकतंत्र की संभावना अबतक नहीं बन पायी है. ऐसे में इस बात की आशंका बनी हुई है कि क्या चीन में एक बार फिर थियामेन चौक की घटना को दोहराया जायेगा, क्योंकि चीन में विरोध प्रदर्शन का इतिहास बहुत लंबा नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें