महामारी से उबरना है तो वैक्सीन से होनी चाहिए शुरुआत, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पुरजोर तरीके से रखी अपनी बात

'स्थायी शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना' विषय पर संयुक्त राष्ट्र में आयोजित पीबीसी-ईसीओएसओसी की संयुक्त बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के सामने आने के बाद भारत ने अफ्रीका में प्रभावित लोगों को तुरंत सहायता की पेशकश की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2021 8:26 AM

न्यू यॉर्क : संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने पीबीसी-ईसीओएसओसी की संयुक्त बैठक में कहा कि अगर दुनिया को महामारी से निजात पाने की आवश्यकता है, तो इसकी शुरुआत टीकों से होनी चाहिए. दरअसल, यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति कोरोना महामारी से उबरने के परिप्रेक्ष्य में ‘स्थायी शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना’ विषय पर देश की बात रख रहे थे.

‘स्थायी शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र में आयोजित पीबीसी-ईसीओएसओसी की संयुक्त बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के सामने आने के बाद भारत ने अफ्रीका में प्रभावित लोगों को तुरंत सहायता की पेशकश की. इसमें प्रभावित लोगों भारत की ओर से स्वदेशी टीके, जीवन रक्षक दवाएं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की गई.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि टीके की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए कच्चे माल की ग्लोबल सप्लाई चेन को खुला रखने की जरूरत है. खासकर, महिलाओं और युवाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ मानव-केंद्रित और नागरिक-अनुकूल डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है.

Also Read: जनवरी में कहर बरपा सकता है ओमिक्रॉन, EU देशों की बैठक से पहले बोले चेयरमैन उर्सुला वॉन डेर लेयन

बता दें कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका से पता चला. इसके बाद भारत समेत दुनिया के कई देशों में ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. वायरस के इस नए वेरिएंट के मिलने के बाद अनुमान यह लगाया जा रहा था कि जो लोग दक्षिण अफ्रीका से दूसरे देशों के लिए जा रहे हैं, उनसे इसका संक्रमण फैल रहा है, लेकिन भारत समेत कई देशों में ओमिक्रॉन से संक्रमित कई ऐसे व्यक्ति भी पाए गए हैं, जिन्होंने दूसरे देशों की कभी यात्रा ही नहीं की. ऐसे मामलों के सामने आने के बाद वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं के साथ सरकार की भी चिंताएं बढ़ गई हैं.

Next Article

Exit mobile version