कोरोना से लड़ने के लिए तुर्की की रणनीति है सबसे अलग

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तुर्की एक अलग ही रणनीति पर काम कर रहा है. यह रणनीति है सप्ताहांत कर्फ्यू की

By दिल्ली ब्यूरो | April 18, 2020 11:49 AM

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जहां भारत समेत दुनिया के कई देश संपूर्ण लॉकडाउन की रणनीति अपना रहे हैं, वहीं एशिया और यूरोप की संधि पर स्थित तुर्की एक अलग ही रणनीति पर काम कर रहा है. यह रणनीति है सप्ताहांत कर्फ्यू की और उम्र के हिसाब से लोगों के घर से बाहर निकलने की इजाजत देने की.

सप्ताहांत कर्फ्यू

सीएनएन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते तुर्की में पूर्ण लॉकडाउन करने की जगह 31 प्रांतों में सप्ताहांत कर्फ्यू लगाया गया, जिससे तुर्की की करीब तीन चौथाई आबादी प्रभावित हुई.

उम्र के हिसाब से लोगों को बाहर आने-जाने की इजाजत  

सप्ताह के दौरान तुर्की में घर पर ही रहने का आदेश सिर्फ उन लोगों पर लागू होता है, जिनकी आयु 20 साल से कम या 65 साल से ज्यादा है. इस तरह से सैद्धांतिक तौर पर देखें तो बाकी सभी नागरिकों को बाहर जाने की इजाजत है. हालांकि कई छोटी दुकानें बंद हैं. रेस्त्रां सिर्फ डिलिवरी या पिकअप के लिए खुले हैं, पार्क जैसे सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के जाने पर रोक है और बैंक भी सीमित घंटों के लिए ही खुल रहे हैं.क है और बैंक भी सीमित घंटों के लिए ही खुल रहे हैं.

चल रहा है निर्माण का कार्य

तुर्की में निर्माण की गतिविधियों को अभी तक नहीं रोका गया है और वे पूरी रफ्तार से चल रही हैं. साथ ही वैसे कारखाने और दूसरे कारोबार भी चालू हैं, जो आर्थिक नुकसान उठाने के लिए तैयार नहीं हैं.

आंशिक पाबंदियां हो सकती हैं सफल

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आंशिक पाबंदियों की यह रणनीति कामयाब हो सकती है, शर्त यह है कि जिन लोगों पर सबसे ज्यादा जोखिम है, उनकी रक्षा की जाए और जो लोग बाहर निकल रहे हैं वे कुछ नियमों का पालन करें. यूनाइटेड किंगडम की लैंकास्टर यूनिवर्सिटी में वायरोलॉजिस्ट मोहम्मद मुनैर ने सीएनएन को बताया, ‘यह एक वैकल्पिक रणनीति है.’ उनका कहना है कि स्वस्थ्य व्यक्तियों के खरीदारी के लिए बाहर निकलने से अनिवार्य रूप से कोई नुकसान नहीं होता है. उनका कहना है कि लॉकडाउन का एकमात्र फायदा यह है कि इससे रोग के प्रसार की रफ्तार धीमी होगी और अस्पतालों पर बहुत ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा.

खतरों से आगाह कर रहे हैं कुछ जानकार

कुछ जानकारों ने इस रणनीति पर सवाल भी उठाए हैं. इनका कहना है कि तुर्की जैसी स्थिति में ज्यादातर देश संपूर्ण लॉकडाउन कर रहे हैं. आंशिक लॉकडाउन की सफलता लोगों के सहयोग और दूरी बनाए रखने के नियमों के पालन पर निर्भर करती है. लेकिन तुर्की में जिस रफ्तार से रोग का प्रसार हो रहा है, उसे देखते हुए आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह रणनीति शायद कोरोना को नियंत्रित करने के हिसाब से पर्याप्त न हो.

कुल मामलों के हिसाब से तुर्की है शीर्ष 10 देशों में

कुल मामलों के हिसाब से तुर्की दुनिया के शीर्ष दस देशों में शामिल है और यहां संक्रमितों की संख्या रोज 4000 की दर से बढ़ रही है. हालांकि, यहां मृत्यु दर काफी कम है, जिसको लेकर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं.

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