काबुल में रूसी दूतावास के पास जोरदार धमाका, दो राजनियिक समेत 20 लोगों की मौत
काबुल पुलिस के हवाले से मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूसी दूतावास के पास धमाके में कम से कम दो रूसी राजनयिक समेत करीब 20 लोगों की मौत हो गई है. यह भी जानकारी दी गई है कि हमलावर को सुरक्षाबलों ने बंदूक से निशाना लगाकर मार गिराया.
काबुल : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में सोमवार को रूसी दूतावास के पास जोरदार धमाका हुआ. इस धमाके में रूस के दो राजनयिक समेत तकरीबन 20 लोगों के मारे जाने की खबर है. रूस के सरकारी हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई के एक ट्वीटर के अनुसार, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए धमाके में दो रूसी राजनयिकों समेत करीब 20 लोगों की मौत हो गई. रूसी समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, काबुल में यह धमाका उस समय हुआ, जब रूसी दूतावास के बाहर लोग वीजा बनाने के लिए लाइन में लगे हुए थे.
हमलावरों को भी पुलिस ने किया ढेर
टोलो न्यूज के मुताबिक, काबुल शहर के दारुल अमन इलाके में धमाका हुआ है. काबुल पुलिस के हवाले से मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूसी दूतावास के पास धमाके में कम से कम दो रूसी राजनयिक समेत करीब 20 लोगों की मौत हो गई है. यह भी जानकारी दी गई है कि हमलावर को सुरक्षाबलों ने बंदूक से निशाना लगाकर मार गिराया. मीडिया की शुरुआती रिपोर्ट में यह बताया गया कि इस धमाके में एक रूसी राजनयिक और सुरक्षाकर्मी बुरी तरह से घायल हो गए थे.
पिछले हफ्ते भी हुए कई जगहों पर धमाके
इससे पहले शनिवार को दक्षिणी अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में एक स्कूल में हुए धमाके में चार बच्चों की मौत हो गई थी. बताया गया था कि बच्चों को एक बिना फटा हुआ एक गोला मिला था, जिसे वे स्कूल में खेलने के लिए ले आए थे. इस दौरान गोला फट गया और बच्चों की जान चली गई. तीन अन्य बच्चे इस घटना में घायल हुए थे. वहीं, पिछले शुक्रवार को पश्चिमी अफगानिस्तान के शहर हेरात की गुजरगाह मस्जिद में आत्मघाती धमाका हुआ था. धमाका जुमे की नमाज के दौरान हुआ था, जिसमें मस्जिद का इमाम मुजीब रहमान अंसारी और कई अन्य लोग मारे गए थे. बाद में अधिकारियों ने बताया था कि मस्जिद में हुए धमाके में इमाम समेत 18 लोगों की मौत हुई और 23 लोग घायल हुए.
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अफगानिस्तान में जारी है धमाके पर धमाका
बता दें कि पिछले साल 15 अगस्त को काबुल पर तालिबानियों द्वारा कब्जा करने के बाद ही अफगानिस्तान में कई जगह धमाके जारी हैं. आमतौर पर ये धमाके शिया और अहमदिया समुदाय की मस्जिदों पर हुए हैं. अल्पसंख्यक समूहों के धार्मिक इबादतगाहों पर होने वाले हमलों में आईएस जिम्मेदारी स्वीकारता रहा है. दरअसल, तालिबान के अधिकांश विरोधी कमजोर पड़ चुके हैं, लेकिन आईएस अब भी हमले जारी रखे हुए है. हालांकि तालिबान इस पर नियंत्रण के प्रयास में जुटा है.