लंदन : भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के झूठ पर जांच होगी. उन पर आरोप है कि उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान गैर-कानूनी तरीके से कोविड अनुरूप व्यहार का उल्लंघन करते हुए भीड़ में शामिल होकर प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था. इस मामले में उनके खिलाफ होने वाली जांच के लिए ब्रिटेन के सांसदों ने सर्वसम्मति से अपनी मंजूरी दे दी है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोना महामारी के दौरान गैर-कानूनी जमावड़े में शामिल होकर कोरोना वायरस के के प्रसार को रोकने संबंधी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था या नहीं? ब्रिटेन के सांसदों ने इस मामले की संसदीय जांच को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है. हाउस ऑफ कॉमन्स में इसके लिए मतदान नहीं हुआ, लेकिन सभी सांसदों ने सर्वसम्मति से ‘हां’ कहकर अपनी मंजूरी दे दी.
बताया जा रहा है कि हाउस ऑफ कॉमन्स के सांसदों की इस मंजूरी के बाद आरोपों की जांच संसद की ‘कमेटी आफ प्रिवलेजेस’ करेगी और यह पता लगाएगी कि जॉनसन ने जानबूझ कर संसद को गुमराह किया था अथवा नहीं. यह कदम कंजरवेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री पर अधिक दबाव डालेगा, जिनकी सत्ता पर पकड़ इस दावे के चलते कमजोर हुई है कि उन्होंने अपने देश पर कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए नियमों की खुद ही धज्जियां उड़ाईं और फिर इसे स्वीकार भी नहीं किया.
विपक्षी लेबर पार्टी ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में मतदान का आह्वान किया था. जॉनसन पर पिछले हफ्ते जून 2020 में अपने कार्यालय में अपने जन्मदिन की पार्टी में भाग लेने के लिए पुलिस द्वारा 50 पाउंड (66 अमेरिकी डॉलर) का जुर्माना लगाया गया था. जॉनसन पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने पद पर रहते हुए कानून तोड़ा है. उन्होंने हालांकि माफी मांगी है, लेकिन इस बात से इनकार किया कि उन्होंने जानबूझकर नियमों को तोड़ा है.