‘COVID-19 के मरीजों के लिए रामबाण साबित हो सकती है डेक्सामेथासोन’
कोविड-19 महामारी (COVID19 pandemic) के बीच एक राहत भरी खबर है. इंग्लैंड के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि पहला ऐसा प्रमाण मिला है, जिसमें एक दवा कोविड-19 के मरीजों को बचाने में कारगर हो सकती है. उनका दावा है कि डेक्सामेथासोन नामक स्टेराइड के इस्तेमाल से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु दर एक तिहाई तक घट गयी. मंगलवार को नतीजों की घोषणा की गयी और जल्द ही अध्ययन को प्रकाशित किया जाएगा.
कोविड-19 महामारी (COVID19 pandemic) के बीच एक राहत भरी खबर है. इंग्लैंड के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि पहला ऐसा प्रमाण मिला है, जिसमें एक दवा कोविड-19 के मरीजों को बचाने में कारगर हो सकती है. उनका दावा है कि डेक्सामेथासोन नामक स्टेराइड के इस्तेमाल से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु दर एक तिहाई तक घट गयी. मंगलवार को नतीजों की घोषणा की गयी और जल्द ही अध्ययन को प्रकाशित किया जाएगा.
रिसर्चर्स की स्टडी के अनुसार, सख्ती से जांच करने और औचक तौर पर 2104 मरीजों को दवा दी गयी और उनकी तुलना 4321 मरीजों से की गयी, जिनकी साधारण तरीके से देखभाल हो रही थी. दवा के इस्तेमाल के बाद श्वसन संबंधी मशीनों के साथ उपचार करा रहे मरीजों की मृत्यु दर 35 फीसदी तक घट गयी. जिन लोगों को ऑक्सीजन की सहायता दी जा रही थी, उनमें भी मृत्यु दर 20 फीसदी कम हो गयी.
Dexamethasone, a cheap anti-inflammatory drug for arthritis and other ailments, cuts risk of death in #coronavirus patients who are on a ventilator by a third: UK Media
— ANI (@ANI) June 16, 2020
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता पीटर होर्बी ने एक बयान में कहा कि ये काफी उत्साहजनक नतीजे हैं. उन्होंने कहा कि मृत्यु दर कम करने में और ऑक्सीजन की मदद वाले मरीजों में साफ तौर पर इसका फायदा हुआ. इसलिए ऐसे मरीजों में डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल होना चाहिए. डेक्सामेथासोन दवा महंगी भी नहीं है और दुनियाभर में जान बचाने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है.
हाल में इसी स्टडी में यह भी कहा गया था कि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के इलाज में उपयोगी नहीं है. स्टडी के तहत इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में 11,000 से ज्यादा मरीजों को शामिल किया गया था.
उधर, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके लोगों के रक्त से एंटीबॉडी की खोज की है, जिसका पशुओं और मानव कोशिकाओं पर परीक्षण किये जाने पर यह सार्स-कोव-2 से बचाव में बहुत कारगर साबित हुई हैं. अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, कोविड-19 रोगियों को सैद्धांतिक रूप से बीमारी के शुरुआती स्तर पर एंटीबॉडी इंजेक्शन लगाए गए, ताकि उनके शरीर में वायरस के स्तर को कम करके उन्हें गंभीर हालत में पहुंचने से बचाया जा सके.
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा इन एंटीबॉडी का उपयोग उन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, बुजुर्गों और अन्य लोगों को सार्स-कोव-2 संक्रमण से बचाने के लिए अस्थायी तौर पर टीके जैसी सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है, जिनपर पारंपरिक टीकों का कुछ खास असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है या फिर जिनमें शुरुआती स्तर के कोविड-19 के लक्षण दिखाई दिये हैं.
विज्ञान से संबंधित पत्रिका ‘साइंस’ में सोमवार को प्रकाशित यह अनुसंधान इस घातक वायरस से तुरंत बचाव का रास्ता दिखाता है. शोध के दौरान उन मरीजों से रक्त के नमूने लिये, जो हल्के से गंभीर स्तर के कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हुए हैं. इसके बाद उन्होंने एसीई2 नामक परीक्षण कोशिकाएं विकसित कीं, जिनका इस्तेमाल कर सार्स-कोव-2 मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है.
Also Read: कोविड 19 का टीका तैयार, मनुष्य पर परीक्षण शुरूप्रारंभिक प्रयोगों के दौरान टीम ने परीक्षण किया कि क्या मरीजों के एंटीबॉडीयुक्त रक्त वायरस के प्रभाव को कम कर उसे परीक्षण कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोक सकते हैं. स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के डेनिस बर्टन ने कहा कि ये शक्तिशाली एंटीबॉडी महामारी के खिलाफ तेज प्रतिक्रिया देने में बहुत कारगर साबित हो सकते हैं.
Posted By : Vishwat Sen