यूक्रेन में रूसी हमले में शांति तलाश रहा संयुक्त राष्ट्र, महासचिव गुतारेस ने की संघर्ष विराम की अपील

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के विश्वव्यापी मानवीय अभियानों के प्रमुख अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफिथ्स से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष विराम की संभावना का पता लगाने का निर्देश दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2022 11:54 AM

संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली : रूस यूक्रेन युद्ध का आज 34वां दिन है. मंगलवार को तुर्की के इंस्ताम्बुल में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच शांतिवार्ता होनी है. बताया यह भी जा रहा है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अपने यूक्रेनी समकक्ष वोलोदिमीर जेलेंस्की फोन बातचीत कर रहे हैं, लेकिन वे यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई में किसी प्रकार की नरमी नहीं बरत रहे हैं. इस बीच, खबर यह भी है कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने यूक्रेन में मानवीय संघर्ष विराम की अपील की है. उनके इस अपील पर सवाल ये भी खड़े किए जा रहे हैं कि यूक्रेन में रूस के तांडव के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस क्या सही मायने में शांति की राह तलाश रहे हैं?

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने यूक्रेन में मानवीय संघर्ष विराम की संभावनाओं का पता लगाने की पहल की है. इसके पीछे मकसद यूक्रेन में अत्यंत आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करना और एक महीने से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए राजनीतिक वार्ता के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया जाए.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के विश्वव्यापी मानवीय अभियानों के प्रमुख अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफिथ्स से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष विराम की संभावना का पता लगाने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि ग्रिफिथ्स पहले ही इस संबंध में कुछ कदम उठा भी चुके हैं.

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बताते चलें कि 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दो मार्च और 24 मार्च को तत्काल युद्ध समाप्त करने की अपील की थी. गुतारेस ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें लगता है कि संयुक्त राष्ट्र के लिए यह पहल करने का वक्त है. महासचिव ने कहा कि 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण करने के बाद से हजारों लोगों की बेवजह जान गई और करीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए. मकान, स्कूल, अस्पताल और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे तबाह कर दिए गए और दुनिया भर में खाद्य सामग्री की कीमतें आसमान छू रही हैं.

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