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डोनाल्ड ट्रंप ने टाला G-7 शिखर सम्मेलन, बोले- भारत को आमंत्रित करने की योजना

अमेरिका में होने वाला 46वां जी7 शिखर सम्मेलन जो 10 से 12 जून को होना था वो अब नहीं होगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह कुछ कारणों से जी-7 सम्मेलन को फिलहाल सितंबर तक टालने जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वह इस बैठक से पहले भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस और दक्षिण कोरिया को बैठक के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2020 8:05 AM

अमेरिका में होने वाला 46वां जी7 शिखर सम्मेलन जो 10 से 12 जून को होना था वो अब नहीं होगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह कोविड-19 संकट के कारण जी7 सम्मेलन को फिलहाल सितंबर तक टालने जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वह इस बैठक से पहले भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस और दक्षिण कोरिया को बैठक के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं. है.

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बता दें कि 46वां जी7 शिखर सम्मेलन का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 10 जून से 12 जून तक आयोजन प्रस्तावित था. जी7 दुनिया के सबसे बड़े विकसित देशों का समूह है. इसके सदस्य देश फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई ने सीएनएन के हवाले से लिखा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने मौजूदा जी7 समूह को पुराना (आउटडेटेड ) बताया है.

लिखा है कि ट्रंप ने कहा है कि मैं इस सम्मेलन को इसलिए आग टाल रहा हूं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि दुनिया में जो कुछ भी घट रहा है उसकी ये समूह सही से चर्चा करता है. यह कुछ देशों को बहुत पुराना समूह हो गया है. व्हाइट हाउश की प्रवक्ता आलिशा फराह ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप जी-7 समूह में अमेरिका के सहयोगी देशों को जोड़ना चाहते हैं. साथ ही इस सम्मेल न में चीन के भविष्य को लेकर भी चर्चा होगी.

क्या है जी-7

जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहते हैं. ये समूह खुद को कम्यूनिटी ऑफ वैल्यूज यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.

यह क्या करता है?

शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी. इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था. अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया. जी-7 देशों के मंत्री और नौकरशाह आपसी हितों के मामलों पर चर्चा करने के लिए हर साल मिलते हैं. प्रत्येक सदस्य देश बारी-बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है और दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है.

यह प्रक्रिया एक चक्र में चलती है. ऊर्जा नीति, जलवायु परिवर्तन, एचआईवी-एड्स और वैश्विक सुरक्षा जैसे कुछ विषय हैं, जिन पर पिछले शिखर सम्मेलनों में चर्चाएं हुई थीं. शिखर सम्मेलन के अंत में एक सूचना जारी की जाती है, जिसमें सहमति वाले बिंदुओं का जिक्र होता

Posted by: Utpal kant

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