ताज महल की तरह अमेरिकी राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश के लिए विदेशी दें अधिक शुल्क, सांसद की मांग

अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने देश के राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश के लिए विदेशी पर्यटकों से 16 से 25 डॉलर (1200 से लेकर 2000 रुपये) का अतिरिक्त शुल्क लेने का कानून बनाने की मांग की है. उन्होंने तर्क दिया कि भारत ताज महल जैसे स्मारकों में प्रवेश के लिए यही करता है.

By Agency | June 25, 2020 2:33 PM
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अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने देश के राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश के लिए विदेशी पर्यटकों से 16 से 25 डॉलर (1200 से लेकर 2000 रुपये) का अतिरिक्त शुल्क लेने का कानून बनाने की मांग की है. उन्होंने तर्क दिया कि भारत ताज महल जैसे स्मारकों में प्रवेश के लिए यही करता है. ‘ग्रेट अमेरिकन आउटडोर अधिनियम’ में संसोधन का यह प्रस्ताव सांसद माइक एंजी ने पेश किया, जिसका उद्देश्य अमेरिका के कई शीर्ष स्मारकों और राष्ट्रीय उद्यानों के रखरखाव के लिए धन एकत्र करना है.

सांसद ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यान सेवा के अनुसार उद्यानों के लंबित रखरखाव के काम के लिए करीब 12 अरब डॉलर की आवश्यकता है. पिछले वर्ष राष्ट्रीय उद्यान सेवा का बजट 4.1 अरब डॉलर था. एंजी ने कहा कि इस संसोधन के अनुसार विदेशी पर्यटकों को देश में प्रवेश के समय ही इन उद्यानों का लुत्फ उठाने के लिए 16 से 25 डॉलर अधिक का भुगतान करना होगा.

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पिछले कई समय से इन उद्यानों में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा, उदाहरण के तौर पर, भारत में ताज महल देखने जाने वाले विदेशी पर्यटकों को 18 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है जबकि स्थानीय लोगों को 56 सेंट देना होता है. वहीं दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर राष्ट्रीय उद्यान में विदेशी पर्यटकों को 25 डॉलर का भुगतान करना होता है जबकि स्थानीय लोग केवल 6.25 डॉलर देते हैं.

दुनिया के सातवें आश्‍चर्य में शुमार ताज महल

फरवरी में भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आगरा स्थित दुनिया के सातवें आश्‍चर्य में शुमार ताज महल का दीदार. ट्रंप और उनकी पत्‍नी मेलानिया अपने पूरे काफिले के साथ एयरफोर्स वन में सवार होकर ताज नगरीपहुंचे थे. ऐतिहासिक ताजमहल परिसर में पहुंचने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने विजिटर बुक में संदेश लिखा था- ताज महल हमें प्रेरणा देता है. यह भारत की संस्कृति की विभिन्नता और संपन्नता की शानदार विरासत है. थैंक्यू इंडिया.

Posted By: Utpal kant

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