नई दिल्ली : उत्तर कोरिया की ओर से अभी हाल के दिनों में ताबड़तोड़ किए गए बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण किए जाने के बाद अमेरिका अपने प्रतिद्वंद्वी देश रूस और चीन के साथ भिड़ गया. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि उत्तर कोरिया ने इस साल 59 बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है, जो उसकी सैन्य क्षमता से ज्यादा है. इससे उसके पड़ोसी देशों में चिंता और डर पसर गया है. वहीं, उत्तर कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण करने के मामले में भारत ने कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और सुरक्षा के लिए परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अपना समर्थन दोहराया. उसने कहा कि यह सभी के सामूहिक हित में है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज ने कहा कि हम कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और सुरक्षा की दिशा में परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अपने निरंतर समर्थन को दोहराते हैं, हमारा सामूहिक हित है. हम वार्ता और कूटनीति का समर्थन करना जारी रखेंगे. इसका मतलब कोरियाई प्रायद्वीप में मुद्दों को हल करना है.
इससे पहले गुरुवार को खबर आई थी कि प्योंगयांग ने जापान सागर पर एक अज्ञात बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि मिसाइल को मध्यम या लंबी दूरी की मिसाइल माना जा रहा है. उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण को सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत रुचिरा कम्बोज ने कहा कि इस तरह की प्रथाएं क्षेत्र और उससे आगे की शांति और सुरक्षा को प्रभावित करती हैं, क्योंकि उन्होंने डीपीआरके से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा की. उन्होंने आगे कहा कि भारत उत्तर कोरिया से संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को पूर्ण रूप से लागू करने का आह्वान करता है, क्योंकि उकसावे अनुचित हैं.
भारत की राजदूत रुचिरा कम्बोज ने पाकिस्तान के परमाणु प्रसार नीति पर भी करारा प्रहार किया और उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बताया. उन्होंने इस क्षेत्र में डीपीआरके से संबंधित परमाणु और मिसाइल प्रौद्योगिकियों के प्रसार को संबोधित करने के महत्व को दोहराया. काम्बोज ने कहा कि ये प्रक्षेपण डीपीआरके से संबंधित सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है. वे क्षेत्र और उससे आगे की शांति और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं.
उधर, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि उत्तर कोरिया ने इस साल 59 बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है, जो उसकी सैन्य क्षमता से ज्यादा है और इससे उसके पड़ोसी देशों में चिंता और डर पसर गया है. उन्होंने कहा कि 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने साल की शुरुआत से ही उत्तर कोरिया के कदमों की निंदा की है, लेकिन उसे रूस और चीन का समर्थन हासिल है. रूस और चीन उत्तर कोरिया द्वारा संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का बार-बार उल्लंघन किये जाने को सही ठहराने पर तुले हुए हैं.
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हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने पटलवार करते हुए कहा कि अमेरिका-दक्षिण कोरिया के व्यापक सैन्य अभ्यास के चलते ही उत्तर कोरिया मिसाइल परीक्षण कर रहा है. उन्होंने कहा कि इन सैन्य अभ्यासों में सैकड़ों युद्धक विमानों को शामिल किया गया है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र में रूस की उप राजदूत अन्ना एवेस्टिग्नीवा ने कोरिया प्रायद्वीप में बिगड़ती स्थिति के लिए अमेरिका को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिका दबाव और ताकत का इस्तेमाल करके कोरियाई प्रायद्वीप को एकतरफा निरस्त्रीकरण के लिए मजबूर करना चाहता है, जिसकी वजह से वहां स्थिति बिगड़ रही है. उन्होंने 31 अक्टूबर को शुरू हुए अमेरिका-दक्षिण कोरिया अभ्यास को अभूतपूर्व बताया और दावा किया कि ये उत्तर कोरिया पर हमला करने का पूर्वाभ्यास है.