US Presidential Election 2020: कैसे होता है ‘अमेरिकी राष्ट्रपति’ का चुनाव? यहां पढ़िए पूरी प्रक्रिया
इस खबर में जानेंगे कि अमेरिका में चुनाव किस तरह से होता है. वहां चुनाव की प्रक्रिया कैसे होती है. इलेक्ट्रॉल का मतलब क्या होता है.
नयी दिल्ली: संयुक्त राज्य अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में 1 हफ्ता बचा है. रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से पूर्व वॉइस प्रेसिडेंट डो बिडेन चुनावी मैदान में है. दुनियाभर की नजरें अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की लगी है. सब लोग ये जानना चाहते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप अपना कार्यकाल दोहरा पाते हैं या फिर जो बिडेन के नेतृत्व में अमेरिका में बड़ा बदलाव आएगा.
कैसे होता है अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव
इस खबर में आपको बताएंगे कि अमेरिका में चुनाव किस तरह से होता है. वहां चुनाव की प्रक्रिया कैसे होती है. इलेक्ट्रॉल का मतलब क्या होता है. पॉपुलर और इलेक्ट्रॉल वोट में क्या अंतर होता है. राष्ट्रपति के चुनाव में ये कैसे असर डालते हैं. ऐसा कैसे हो जाता है कि लोकप्रिय वोट किसी प्रत्याशी के पक्ष में होता है लेकिन राष्ट्रपति कोई और चुन लिया जाता है.
यूएस में जनता इलेक्ट्रॉल का चुनाव करती है
दरअसल, जैसे भारत में प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए जनता सीधे मतदान करती है, वैसा अमेरिका में नहीं होता. अमेरिका अलग-अलग प्रांतो की जनता अपने यहां से निर्वाचकों का चुनाव करती है. अलग-अलग प्रांतों से चुने गए निर्वाचकों से एक निर्वाचक मंडल का गठन होता है. ये निर्वाचक मंडल बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं.
जनता का वोट कहलाता है लोकप्रिय वोट
जनता का वोट लोकप्रिय वोट कहलाता है. वहीं निर्वाचित प्रतिनिधि का वोट इलेक्ट्रॉल वोट. इसलिए कभी-कभी अमेरिका में ऐसा होता है कि जनता ने किसी कंडीडेट के पक्ष में प्रतिनिधि का निर्वाचन किया, लेकिन प्रतिनिधि ने किसी और कंडीडेट के पक्ष में मतदान किया. ऐसा 2016 में हो चुका है. उस वक्त इलेक्ट्रॉल वोट के आधार डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बन गए थे जबकि लोकप्रिय वोट हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में गिरा था.
अमेरिका में चुनाव राज्य सूची का विषय है
अमेरिकी चुनाव संघीय विषय नहीं है बल्कि ये राज्य सूची का विषय है. इसलिए कई राज्यों में इलेक्ट्रॉल वोटिंग के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए वोटिंग शुरू हो गई है. संयुक्त राज्य अमेरिका में 50 प्रांत अथवा राज्य हैं. इनमें से कई राज्यों में मतदान शुरू कर दिया गया है जिसके तहत निर्वाचित प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाएगा.
भविष्यवाणी की जा रही है कि इस साल 3 नवंबर को रिकॉर्ड तोड़ मतदान होगा. कोरोना वायरस महामारी की वजह से अधिंकाश लोग डाक मतपत्र और मेल के जरिए वोट डालेंगे. बहुत कम संख्या पारंपरिक तरीके से पोलिंग बूथ में जाकर मतदान करेंगे.
जानें कैसे होता है इलेक्ट्रॉल का चुनाव
डेमोक्रेटिक पार्टी के मतदाताओं का कहना है कि वे जल्दी से जल्दी मतदान करना चाहते हैं क्योंकि उनमें डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों की तुलना में कोविड महामारी को लेकर ज्यादा संवेदनशीलता है. प्रत्येक राज्य के पास हाउस रिप्रजेंटेटिव और सीनेटर के तौर पर मत होते हैं. उसी के आधार पर लोगों के मत की वैल्यू बनती है.
कितने बजे से अमेरिका में शुरू होगा मतदान
जानकारी के मुताबिक अधिकांश राज्यों में भारतीय समयानुसार दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से मतदान शुरू होगा. हालांकि कई राज्यों में भारतीय समयानुसार दोपहर ढाई बजे ही मतदान शुरू कर दिया गया है. दूसरी ओर न्यूयॉर्क और नॉर्थ डकोटा में भारतीय समयानुसार शाम 6 बजकर 30 मिनट तक मतदान खत्म हो जाएगा. इन राज्यों में 4 नवंबर को मतदान होगा.
कैसे होता है राष्ट्रपति की जीत का निर्धारण
आप ये पहले ही जान चुके हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव इलेक्ट्रॉल द्वारा किया जाता है. इलेक्ट्रॉल के समूह को पारंपरिक भाषा में इलेक्ट्रॉल कॉलेज कहा जाता है. अमेरिका में इलेक्ट्रॉल अथवा निर्वाचकों की कुल संख्या 538 है. इनमें से 435 अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधि हैं वहीं 100 सीनेटर हैं. 3 कोलंबिया के तीन अतिरिक्त निर्वाचक हैं. यहां ध्यान देने वाली बात है कि कोई भी संघीय अधिकारी निर्वाचक नहीं बन सकता.
इस बार 14 दिसंबर को इलेक्ट्रॉल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए इकट्ठा होंगे. वोटिंग के बाद अमेरिकी कांग्रेस द्वारा वोटों की गिनती की जाएगी. वोटों की गिनती के बाद अमेरिकी सीनेट के अध्यक्ष द्वारा परिणामों की घोषणा की जाएगी. जो भी उम्मीदवार 538 में से 270 मतों का आंकड़ा पार कर लेगा, वो राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो जाएगा.
Posted By- Suraj Thakur