यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स तथा नेशनल एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स सहित पांच शीर्ष व्यापार निकायों ने शेष वर्ष के लिए नए गैर-आव्रजन वीजा को स्थगित करने संबंधी राष्ट्रपति के आदेश को अदालत में चुनौती दी है. इनमें एच-1बी वीजा भी शामिल है, जो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने आदेश जारी कर कई गैर-आव्रजन श्रेणियों में पेशेवरों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
इनमें एच-1बी वीजा भी शामिल है. ट्रंप ने कहा था कि विदेशी कर्मचारी कोविड-19 महामारी के बीच अमेरिकियों की नौकरी ‘हथिया’ लेंगे, जिसकी वजह से यह कदम उठाना जरूरी है. एच-1बी गैर-आव्रजक वीजा है. इसमें अमेरिकी कंपनियां विशेषज्ञता वाले स्थानों पर विदेशी पेशेवरों की नियुक्ति कर सकती हैं. भारत और चीन से हर साल हजारों कर्मचारी इस वीजा पर अमेरिका में नौकरी करने जाते हैं.
नेशनल एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, नेशनल रिटेल फेडरेशन, टेकनेट और इन्ट्रैक्स की ओर से दायर अपील में कहा गया है कि गैर-आव्रजक कर्मचारियों को प्रवेश नहीं देने से वे अमेरिकी कंपनियां बुरी तरह प्रभावित होंगी, जिन्हें प्रतिभाओं की जरूरत है. यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थॉस डोनोह्यू ने कहा कि हम चाहते हैं कि इन गैरकानूनी आव्रजन अंकुशों को हटाया जाए. यह इंजीनियरों, कार्यकारियों, आईटी विशेषज्ञों, चिकित्सकों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों की दृष्टि से स्वागतयोग्य कदम नहीं है.
posted by : sameer oraon