Sweden Village Story: कोई भी व्यक्ति जब अपने घर से बाहर निकलता है, तो सबसे पहले उसकी पहचान उसके राज्य, शहर, तहसील और गांव के नाम से होती है. अपने घर से बाहर हर कोई अपने गांव का नाम लेने में गर्व महसूस करता है. लेकिन, कुछ ऐसे बी गांव हैं, जिसका नाम लेने में वहां के लोगों को शर्म आती है. और तो और, अगर आपने उस गांव का नाम सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर लिख दिया, यकीन मानिए, फेसबुक आपको ब्लॉक कर देगा.
स्वीडन का यह गांव आजकल काफी ट्रेंड (Trending News) में है. इस अजीब खबर (Wierd News) के बारे में सभी जानना चाहते हैं. स्वीडन के इस गांव (Swedish Village) के लोगों ने अब अपने ही गांव का नाम बदलने (Name Change) का अभियान छेड़ दिया है. उनका कहना है कि न केवल उन्हें अपने गांव का नाम लेने में शर्म आती है, बल्कि इसकी वजह से उन्हें सोशल मीडिया सेंसरशिप (Social Media Censorship) भी झेलनी पड़ती है. इसलिए वे चाहते हैं कि उनके गांव का नाम बदल दिया जाये.
स्वीडन (Sweden) के इस गांव का नाम Fucke है. डेली स्टार में जो रिपोर्ट छपी है, उसमें कहा गया है कि Fucke गांव में रहने वाले लोग अपने गांव का नाम बदलना चाहते हैं. नेशनल लैंड सर्वे विभाग को यह फैसला लेना है कि ग्रामीणों की परेशानी को ध्यान में रखकर इस गांव का नाम बदला जाये या नहीं. बता दें कि पहले भी एक गांव का नाम बदलने की मांग उठी थी, लेकिन तब विभाग ने उस मांग को खारिज कर दिया था.
उस वक्त ग्रामीणों ने Fjuckby गांव का नाम बदलने की मांग की थी. विभाग का तर्क था कि ऐतिहासिक नाम को वह बदलना मुमकिन नहीं है. Fucke गांव का भी नामकरण दशकों पहले हुआ था. इसलिए ग्रामीणों को इस बात का डर सता रहा है कि उनकी भी मांग कहीं खारिज न हो जाये. आशंका के बावजूद ग्रामीण पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं.
ज्ञात हो कि इस गांव में कुल 11 घर हैं. सभी ने एकजुट होकर मांग की है कि उनके गांव का नाम बदला जाये. उन्होंने गांव का नया नाम भी सुझाया है. ग्रामीणों ने कहा है कि उनके गांव का नाम बदलकर Dalsro कर दिया जाये. इसका अर्थ होता है शांत घाटी. ग्रामीणों का कहना है कि उनका गांव खुशहाल और शांत है, मगर वर्तमान नाम Fucke के कारण उन्हें बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है.
ग्रामीणों का कहना है कि सोशल मीडिया सेंसरशिप एक और समस्या है. गांव के नाम के चलते उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक कर दिया जाता है. गांव के नाम के साथ भी Facebook Algorithms यही करती है. जिस वजह से इस गांव के लोग कोई विज्ञापन भी पोस्ट नहीं कर पाते. किसी गांव या शहर का नाम बदलने से जुड़े मामलों में नेशनल लैंड ट्रस्ट को स्वीडन के नेशनल हेरिटेज बोर्ड और भाषा एवं लोककथा संस्थान के साथ मिलकर फैसला लेना पड़ता है.
भारत में भी एक ऐसा गांव था, जिसका नाम लेने में लोगों को शर्मिंदगी महसूस होती थी. खासकर लड़कियां तो अपने गांव का नाम ले ही नहीं पातीं थीं. उन्होंने गांव का नाम बदलने के लिए अभियान छेड़ा. आखिरकार प्रशासन ने उनकी बात सुनी और गांव का नाम बदल दिया. अब लोग फख्र के साथ अपने गांव का नाम लेते हैं.
झारखंड के देवघर जिला के मोहनपुर प्रखंड की बंका पंचायत में यह गांव था. नयी पीढ़ी के लोगों को स्कूल-कॉलेज में अपने गांव का नाम बताने में शर्म आती थी. गांव का नाम अगर बता दिया, तो उनका मजाक उड़ाया जाता था. देवघर के इस गांव का नाम जाति, आवासीय व आय प्रमाण पत्रों में देख लोग हंसने लगते थे.
वर्षों की इस परेशानी को खत्म करने का नयी पीढ़ी ने मन बनाया. उन्होंने पंचायत का सहारा लिया. ग्राम सभा ने पहल की और दिसंबर 2021 में इस गांव का नाम बदलकर मसूरिया (masuria village) कर दिया गया. अब राजस्व विभाग की वेबसाइट में भी मसूरिया (village name masuria) गांव का नाम दर्ज हो गया है. इसी गांव के नाम से लोग अपनी जमीन का लगान भी जमा करते हैं. जाति, आवासीय व आय प्रमाण पत्र भी मसूरिया (masuria village in deoghar jharkhand) के नाम से जारी हो रहे हैं.
Posted By: Mithilesh Jha