सारा गिल्बर्ट: कोरोना वैक्सीन बनाने वाली ‘नायक’, कभी साइंस छोड़ना चाहती थीं
सारा गिल्बर्ट आयरिश मूल की हैं. सारा का जन्म अप्रैल 1962 में हुआ था. महामारी विशेषज्ञ या वायरोलॉजिस्ट के तौर पर सारा ने साल 1994 में मलेरिया का वैक्सीन ईजाद करने वाली टीम के साथ अपना करियर शुरू किया था.
नयी दिल्ली: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने बताया कि उनकी कोरोना वैक्सीन 90 फीसदी तक कारगर है. करोड़ों लोगों को इस वैक्सीन का इंतजार है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस वैक्सीन की कामयाबी के पीछे किसका हाथ है. नहीं तो इस वीडियो में जान लीजिए.
पूरी दुनिया की उम्मीद इस वैक्सीन के पीछे महामारी विशेषज्ञ सारा गिल्बर्ट और उनकी टीम की मेहनत है. मार्च महीने से ही वे कोरोना का वैक्सीन ईजाद करने में जुटे हैं.
आयरिश मूल की हैं वैज्ञानिक सारा गिल्बर्ट
सारा गिल्बर्ट आयरिश मूल की हैं. सारा का जन्म अप्रैल 1962 में हुआ था. महामारी विशेषज्ञ या वायरोलॉजिस्ट के तौर पर सारा ने साल 1994 में मलेरिया का वैक्सीन ईजाद करने वाली टीम के साथ अपना करियर शुरू किया था. इसके बाद इबोला और मर्स जैसी महामारी के दौरान भी सारा गिल्बर्ट ने वैक्सीन बनाने में योगदान दिया.
एक समय साइंस छोड़ना चाहती थीं सारा
समाचार एजेंसी बीबीसी के साथ बातचीत में सारा गिल्बर्ट ने बताया कि यूनिवर्सिटी में पीएचडी के दौरान उन्होंने साइंस छोड़ने का मन बना लिया था. सारा ने इसकी वजह खुद में एकाग्रता की कमी को बताया था. सारा एक संगीतकार फैमिली से आती हैं.
अब तक की जिंदगी में सारा ब्रूइंग रिसर्च से लेकर ह्यूमन हेल्थ जैसे विषयों में काम कर चुकी हैं. फिलहाल सारा और उनकी टीम दुनिया को कोरोना महामारी से बचाने में लगी है.
सारा गिल्बर्ट के रिसर्च से भी मिला फायदा
कहा जाता है कि कोरोना वैक्सीन की नींव बहुत पहले ही रखी जा चुकी थी. इस तरह के वायरस को लेकर सारा गिल्बर्ट का किया गया शोध काफी पहले ही पेंटेट करवाया जा चुका था. यही वजह है कि सारा गिल्बर्ट की टीम का कोरोना वैक्सीन सबसे ज्यादा कारगर साबित होने जा रहा है.
वैक्सीन ईजाद करने के लिए यूनाईटेड किंगडम के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च और यूके रिसर्च एंड इनोवेशन ने सारा गिल्बर्ट और उनकी टीम को 2.2 मिलियन पाउंड की रकम दी थी.
दुनिया को बचाने में जुटी सारा गिल्बर्ट की टीम
सारा गिल्बर्ट और उनकी टीम मार्च महीने से ही कोरोना का टीका ईजाद करने में जुटे हैं. टीम ने टीका बना लिया अब उसका फाईनल ट्रायल किया जा रहा है. अब तक मिले नतीजों के आधार पर ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ जंग में 90 फीसदी तक कारगर है. इस कामयाबी की नायक वाकई सारा गिल्बर्ट हैं.
इस वक्त ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के अलावा मॉर्डना इंक, जॉनसन एंड जॉनसन, सिनोवैक बायोटेक, फाइजर बायोएनटैक और स्पूतनिक वैक्सीन के कारगर होने का दावा किया गया है. कीमत की बात की जाए तो इन सब में ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन सबसे कम कीमत वाली है.
Posted By- Suraj Thakur