टल गई रूस और यूक्रेन की जंग! पेरिस बैठक में संघर्ष विराम पर सहमत हुए देश, ये है लड़ाई का असली कारण

रुस-यूक्रेन के बीज कई दिनों से जारी गतिरोध के बाद अब दोनों देशों के बीच युद्ध टलता नजर आ रहा है. पेरिस में हुई रूस और यूक्रेन के दूतों के बीच वार्ता में दोनों देश संघर्ष विराम की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 27, 2022 1:04 PM
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क्या टल गया रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, क्या अब नहीं होगी दोनों देशों के बीच ज‍ंग, युद्ध के मुहाने तक पहुंच रूस-यूक्रेन में अब बात बनती नजर आ रही है. जी हां रूस-यूक्रेन के बीज कई दिनों से जारी गतिरोध के बाद अब दोनों देशों के बीच युद्ध टलता नजर आ रहा है. पेरिस में हुई रुस और यूक्रेन के दूतों के बीच वार्ता में दोनों देश संघर्ष विराम की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं.

बैठक में दोनों देश संघर्ष विराम पर जोर देते नजर आये. इस कड़ी में रूस और यूक्रेन अगले महीने फिर से बैठक कर शांति बहाल करने की बात पर भी सहमत हुए हैं. जाहिर है बीते दिनों रुस ने आक्रामक रवैया अपनाकर यूक्रेन बार्डर पर अपनी सेना तैनात कर दी थी, जिसके बाद लगने लगा था कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है.

गौरतलब है है बीते दिनों मीडिया में खबर आ रही थी कि, रूस ने यूक्रेन के बार्डर पर हमला कर दिया है. हमले के बाद अमेरिका के 8,500 सैनिक ‘हाई अलर्ट’ पर आ गये थे. जिसके बाद ये भी खबर आ रही थी कि रूसी कार्रवाई और सेनिकों की तैनाती के बीच नाटो अपने अतिरिक्त बलों को तैयार कर रहा है.

क्या है रूस और यूक्रेन के बीच विवाद का मुख्य कारण: रूस और यूक्रेन के बीच विवाद के कई कारण हैं. इनमें सबसे प्रमुख कारण है क्रीमिया प्रायद्वीप. दरअसल क्रीमिया कभी यूक्रेन का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन इसे वर्ष 2014 में रूस ने यूक्रेन से अलग कर दिया. जबकि यूक्रेन इसपर अपना दावा करता आया है. वहीं, इस मुद्दे पर अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं.

इसके अलावा दोनों देशों के बीच विवाद का कराण है यूक्रेन का नाटों में शामिल होने की मंशा. दरअसल, यूक्रेन नाटो का सदस्य बनना चाहता है. अमेरिका भी इसके पक्ष में है. लेकिन रुस इसकी पूरजोर विरोध कर रहा है. रुस ने यूक्रेन से इसको लेकर लीगल गारंटी तक मांग ली है कि वो कभी नाटो का सदस्य नहीं बनेगा.

इसके अलावा दोनों देशों के बीत बढ़ते विवाद का करण है नार्ड स्‍ट्रीम-2 पाइपलाइन. इस पाइपलाइन के इसके जरिये रूस जर्मनी समेत यूरोप के अन्य देशों को सीधे तेल और गैस की आपूर्ति करेगा. लेकिन इससे यूक्रेन को बहुत आर्थिक क्षति पहुंचेगी. इस कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है.

Posted by: Pritish Sahay

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