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US Presidential Election 2020: क्या होता है इलेक्ट्रॉल और पॉपुलर वोट, कैसे डालता है नतीजों में फर्क

कई लोगों के मन में सवाल होगा कि इलेक्ट्रॉल और पॉपुलर वोटों में क्या अंतर होता है. चुनाव के नतीजों पर इसका क्या असर पड़ता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2020 5:31 PM

नयी दिल्ली: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की काउंटिंग जारी है. डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडेन ने 243 इलेक्ट्रॉल वोटों बढ़त हासिल की है वहीं रिपब्लिकन के डोनाल्ड ट्रंप के पास 214 इलेक्ट्रॉल वोट्स की बढ़त है. चुनाव का फाइनल परिणाम आने में अभी वक्त है लेकिन पूरी दुनिया की नजरें वोट्स की काउटिंग में लगी हैं.

इलेक्ट्रॉल और पॉपुलर वोट में अंतर क्या है

इस बीच कई लोगों के मन में सवाल होगा कि इलेक्ट्रॉल और पॉपुलर वोटों में क्या अंतर होता है. चुनाव के नतीजों पर इसका क्या असर पड़ता है. आप सिलसिलेवार ढंग से समझिए. दरअसल अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव जनता प्रत्यक्ष तौर पर नहीं करती जैसा कि भारत में जनता प्रधानमंत्री का चुनाव करती है. वहां राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए जनता प्रतिनिधियों का चुनाव करती है जिन्हें इलेक्ट्रॉल कहा जाता है.

इलेक्ट्रॉल करते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव

अमेरिका में 50 राज्यों से 538 इलेक्ट्रॉल चुने जाते हैं. बहुमत के लिए 270 इलेक्ट्रॉल का आंकड़ा जरूरी होता है. अलग-अलग पांच राज्यों से चुने गए इलेक्ट्रॉल ही अमेरिकी संसद में जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. राष्ट्रपति चुनने के लिए इलेक्ट्रॉल कॉलेज का गठन किया जाता है.

राष्ट्रपति चुन लिए जाने के बाद इलेक्ट्रॉल कॉलेज भंग कर दिया जाता है. प्रत्येक राज्य से कितने इलेक्ट्रॉल चुने जाएंगे वो इस बात पर निर्भर करता है कि वहां सीनेट और कांग्रेस रिप्रजेंटेटिव कितने हैं.

पॉपुलर वोटों का बहुमत भी क्यों पड़ता है कम

यहां ये जानना दिलचस्प है कि जनता अपने पंसद का राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट करती है. लेकिन जरूरी नहीं है कि जनता के पसंद का ही राष्ट्रपति चुना जाए. हो सकता है कि इलेक्ट्रॉल जनता की इच्छा के खिलाफ जाकर किसी और को राष्ट्रपति चुन लें. ये केवल सैद्धांतिक बात नहीं है बल्कि इतिहास में हो चुका है. मामला 2016 का है.

इसमें अधिकांश जनता ने डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन को वोट किया था. हिलेरी क्लिंटन को 48.5 फीसदी मत मिले थे वहीं रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप को 46.4 फीसदी. इसका मतलब कि अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए पहली पंसद हिलेरी क्लिंटन थीं लेकिन अधिकांश इलेक्ट्रॉल ने डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में मतदान किया. ट्रंप राष्ट्रपति निर्वाचित हुए.

किस आधार पर किया जाता है इलेक्टर्स का चुनाव

जनता जिस वोट के जरिए इलेक्ट्रॉल का चुनाव करती है उसे पॉपुलर वोट कहा जाता है. जिस राज्य की आबादी जितनी होगी वहां से उसी अनुपात में इलेक्ट्रॉल चुने जाते हैं. दरअसल, जिस राज्य से अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए जितने सदस्य चुने जाते हैं उसका उतना ही इलेक्ट्रॉल होगा. इसलिए कैलिफोर्निया स्टेट में 55 तो वहीं व्योमिंग प्रोविंस में केवल 3 इलेक्टर्स हैं.

इस वक्त क्या है अमेरिकी चुनाव की स्थिति

इस वक्त चुनाव में अधिकांश राज्यों में जो बाइडेन को बढ़त मिली हुई है. जीत के प्रति आश्वस्त डेमोक्रेट जो बाइडेन ने ट्रांमिशन का गठन भी कर लिया है. उन्होंने वेबसाइट भी बना ली है. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने काउंटिंग में धांधली का आरोप लगाकर पेन्सिलवेनिया और जॉर्जिया में कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है. उन्होंने साफ कर दिया है कि वे सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण नहीं करेंगे. ऐसे में अगले राष्ट्रपति का फैसला सुप्रीम कोर्ट से हो सकता है.

Posted By- Suraj Thakur

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