वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटिंग जारी है. जानकारी के मुताबिक कोरोना संकट के बीच काफी संख्या में लोग वोटिंग के लिए घरों से निकले हैं. रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से जो बाइडेन चुनावी मैदान में हैं.
बड़ी संख्या में वोटिंग हो रही है. इसी बीच अमेरिका में हथियारों की खरीद में भी बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है. राजनीति विशेषज्ञों को आशंका है कि चुनाव बाद नतीजों को लेकर कुछ संगठनों द्वारा हिंसा फैलाई जा सकती है.
नतीजों के बाद फैल सकती है व्यापक हिंसा
अमेरिकी चुनाव के बीच कई रक्षा और राजनीतिक विशेषज्ञों की राय है कि यदि नतीजे मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में नहीं आते तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है. इनमें मिलिशा समूह का नाम सबसे पहले लिया जा रहा है. मिलिशा डोनाल्ड ट्रंप का समर्थक है. इस समूह द्वारा व्यापक पैमाने पर हथियारों की खरीद की खबरें हैं. अमेरिका में केवल मिलिशा ही नहीं बल्कि कई समूह हैं जो हिंसा में यकीन रखते हैं.
वे समूह जो फैला सकते हैं अमेरिका में हिंसा
रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों में प्राउड ब्वायज, पैट्रियट प्रेयर, ओथ कीपर्स, लाइट फुट मिलिशा, सिविलियन डिफेंस फोर्स, अमेरिकन कंटीजेंसी, बोगालू बोइस और कू क्लक्स क्लान शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक ये तमाम समूह हथियारबंद दस्तों में संगठित हैं. खुलकर रिपब्लिकन पार्टी और डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करते हैं. इनमें से एक प्राइड ब्वायज का जिक्र तो कई बार रैलियों में खुद डोनाल्ड ट्रंप कर चुके हैं.
ट्रंप खिलाफ में आये नतीजे नहीं मानेंगे!
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के इतिहास में राष्ट्रपति चुनाव का ये सबसे बुरा दौर है. संविधान में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर कई मसले अनसुलझे हैं. मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार बार कह चुके हैं कि यदि नतीजे उनके पक्ष में नहीं आए तो वे शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का हस्तांतरण नहीं करेंगे. उनके इस बयान से आशंका है कि चुनाव बाद अमेरिका में हिंसा भड़केगी. इसकी आशंका इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि जो बाइडेन के समर्थकों में भी कुछ हथियारबंद समूह शामिल हैं.
जानें क्या होता है यहां मिलिशा का मतलब
मिलिशा का क्या अर्थ होता है? ये भी जान लेते हैं. मिलिशा आमतौर पर ऐसे हथियारबंद संगठन को कहते हैं जिसमें समाम विचारधारा के आम लोग संगठित होते हैं. ये ऑनलाइन या फिर किसी अन्य तरीके से एक दूसरे के संपर्क में आते हैं. कभी-कभी युद्ध की स्थिति में सैनिकों की कमी की वजह से जिन्हें बतौर सैनिक भर्ती किया जाता है उन्हें भी मिलिशा कहा जाता है. मिलिशा का पहला जिक्र 18वीं सदी से मिलता है लेकिन आधिकारिक रूप से इन्हें 1980 में सक्रिय रूप से देखा गया.
Posted By- Suraj Thakur