17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

WHO ने दी मलेरिया की दूसरी वैक्सीन को मंजूरी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना सकता है 10 करोड़ डोज

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की मदद से तीन खुराक वाला नया टीका विकसित किया है. अनुसंधान से पता चला है कि यह 75 प्रतिशत से अधिक प्रभावी है और बूस्टर खुराक के साथ सुरक्षा कम से कम एक और वर्ष तक बनी रहती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को मलेरिया के दूसरे टीके को अधिकृत कर दिया. यह फैसला देशों को मलेरिया के पहले टीके से अधिक सस्ता और प्रभावी विकल्प उपलब्ध करा सकता है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी दो विशेषज्ञ समूहों की सलाह पर नये मलेरिया टीके को मंजूरी दे रही है. विशेषज्ञ समूहों ने मलेरिया के जोखिम वाले बच्चों में इसके इस्तेमाल की सिफारिश की है. टेड्रस ने कहा, मलेरिया के अनुसंधानकर्ता के रूप में मैं उस दिन का सपना देखता था जब हमारे पास मलेरिया के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावी टीका हो. अब हमारे पास दो टीके हैं.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की मदद से तीन खुराक वाला नया टीका विकसित किया है. अनुसंधान से पता चला है कि यह 75 प्रतिशत से अधिक प्रभावी है और बूस्टर खुराक के साथ सुरक्षा कम से कम एक और वर्ष तक बनी रहती है. टेड्रस ने कहा कि इसकी एक खुराक की कीमत लगभग 2 डॉलर से 4 डॉलर होगी और यह अगले साल कुछ देशों में उपलब्ध हो सकता है. इस साल की शुरुआत में घाना और बुर्किना फासो के नियामक अधिकारियों ने टीके को मंजूरी दी थी.

‘डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ में कार्यरत जॉन जॉनसन ने कहा, यह एक और हथियार हमारे पास होगा लेकिन इससे मच्छरदानी और मच्छरनाशक स्प्रे की जरूरत खत्म नहीं हो जाएगी. यह टीका मलेरिया को रोकने वाला नहीं है. डब्ल्यूएचओ ने 2021 में मलेरिया के पहले टीके को इस खतरनाक बीमारी को समाप्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कोशिश करार दिया था. जीएसके द्वारा निर्मित ‘मॉस्क्विरिक्स’ नामक यह टीका केवल करीब 30 प्रतिशत प्रभावी है और इसमें चार खुराक देनी होती है, वहीं इसका सुरक्षा घेरा कुछ ही महीनों में कमजोर पड़ जाता है.

Also Read: महाराष्ट्र: 24 घंटे में 12 नवजातों समेत 24 की मौत, कई अन्य रोगियों की हालत भी चिंताजनक, डीन ने कही यह बात

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पिछले साल मॉस्क्विरिक्स के लिए वित्तीय सहयोग देने से हाथ पीछे खींच लिए थे और कहा था कि यह कम प्रभावी है तथा धन का इस्तेमाल कहीं और उचित जगह किया जाएगा. जीएसके ने कहा है कि वह एक साल में अपने टीके की करीब डेढ़ करोड़ खुराक तैयार कर सकता है, वहीं सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा कि वह एक साल में ऑक्सफोर्ड के टीके की 20 करोड़ तक खुराक तैयार कर सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें